दुनिया का सबसे छोटा प्राकृतिक शिवलिंग बस्तर में, बारसूर के नागफनी क्षेत्र में पाई जाती है इसकी झाड़ियां

तहलका न्यूज जगदलपुर// बस्तर को शिवधाम कहा जाता है, और यहां शिवजी विभिन्न रूपों में पूजे जाते हैं। दुनिया का सबसे छोटा प्राकृक्तिक शिवलिंग बड़ी संख्या में बस्तर में ही पाया जाता है। आयुर्वेद में इसे शिवलिंगी कहा जाता है। आयुर्वेदिक शास्त्र इसे पुत्रदाता और ईश्वरलिंगी भी कहता है। बस्तर के लिए यह सौभाग्य की बात है, कि छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा मानव निर्मित शिवलिंग चित्रकोट में है, वहीं दुनिया का सबसे छोटा प्राकृतिक शिवलिंग भी बस्तर में ही सर्वाधिक पाया जाता है। लोग इसे कुमकुम के साथ सहेज कर रखते हैं और बड़ी श्रद्धा से पूजा करते हैं। शिवलिंगी के बीज को काफी औषधीय माना जाता है। आयुर्वेद में इसे बुखार दूर करने की औषधि से लेकर पुत्रदाता तक माना गया है। शिवलिंगी का रंग रुप बिल्कुल शिव लिंग की तरह होता है, इसलिए इसे शिवलिंगी कहा जाता है। यह मात्र दो से चार मिलीमीटर तक लंबा होता है। इसका वानस्पतिक नाम ब्रायोनिया लैसीनोसालिन है। यह कुकुरबिटेसी कुल का पौधा है
बस 4 मिमी लंबा
बारिश के बाद आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों के किनारे शिवलिंगी की बेल काफी मात्रा में नजर आती हैं। इसमें लाल रंग के फल होते आते हैं। फल को मसलने से जो बीज प्राप्त होता है वही शिवलिंगी कहलाता है।