कवर्धा : ऑफलाइन पेपर ने छात्रो के संग शिक्षको का भी किया बुरा हाल

कवर्धा। इस बार दसवीं और बारहवीं के छात्रों की उत्तर पुस्तिका जांचने वाले मूल्यांकनकर्ताओं की हालत खराब है।कोरोना काल के बीते 2 वर्षों में छात्रों का भाषाई ज्ञान, विषय की समझ और लिखावट कमजोर हो गयी है। इसका ही असर है कि दो साल पहले तक जो मूल्यांकनकर्ता एक दिन में 40 कॉपियां जांच लेते थे, वे गलतियों के कारण इस बार 30-35 कॉपी ही जांच पा रहे हैं। छात्रों की लेखनी के साथ ही व्याकरण का भी बुरा हाल है। अंग्रेजी में स्पेलिंग की गलतियां हैं, रेखागणित व विज्ञान में चित्र नहीं बना पा रहे हैं और संस्कृत में हालत पतली है।
10वीं और 12वीं कक्षाओं की परीक्षा खत्म होने के बाद अब मूल्यांकन का दौर जारी है। माध्यमिक शिक्षा मंडल ने कवर्धा शहर के आदर्श कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल को मूल्यांकन केंद्र बनाया है। कोरोना काल के दो साल बाद बोर्ड ने ऑफलाइन परीक्षा ली हैं। कक्षाएं भी कम लगीं। इसका नतीजा यह हुआ कि ज्यादातर उत्तर पुस्तिका में अक्षर व मात्राओं में बहुत ज्यादा गलती सामने आ रही है। मूल्यांकनकर्ताओं को विद्यार्थियों द्वारा लिखे उत्तर समझ ही नहीं आ रहे हैं।
यहां एक मूल्यांकनकर्ता शिक्षक को 40 कॉपी जांच करने की अनुमति है। मूल्यांकन केन्द्र प्रभारी आरपी सिंह ने बताया कि इस बार माशिमं ने दो चरण में कुल 139882 कॉपी भेजी है। इसमें से 95 हजार कॉपी की जांच पूरी कर ली गई है। मूल्यांकन कार्य 16 अप्रैल तक चलेगा। इसकी पूरी मॉनिटरिंग भी की जा रही है।
एक्सपर्ट व्यू : ज्यादा से ज्यादा लिखें-पढ़ें, चर्चा करें
शिक्षाविद्, पूर्व शिक्षा सचिव, छग के बीकेएस रे के अनुसार निश्चित रूप से छात्रों में कमी आई है। सब्जेक्ट के लिए निरंतर प्रयास होना चाहिए। ऐसा नहीं कि मैंने आज निबंध लिखा और कल घर में बैठ गया। कोरोना के कारण अनिश्चितता व अस्थिरता का वातावरण रहा। कब स्कूल खुलेगा, कब बंद होगा, कब ऑनलाइन होगा, कब ऑफ लाइन होगा, इसी चक्कर में बच्चे दिग्भ्रमित हो गए और उन्होंने पढ़ाई में रुचि नहीं ली।
इसका असर यह भी रहा कि बच्चे ऑफलाइन क्लास अटेंड करने से घबराने लगे थे। क्योंकि ऑफलाइन में डायरेक्ट जवाब देना होगा। जांच करने वाले सही कह रहे हैं कि उन्होंने दो साल में बच्चों की उत्तर पुस्तिका में गिरावट देखी है। अब छात्रों को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। उन्हें इसके लिए प्रयास करना चाहिए। छात्र ज्यादा से ज्यादा लिखें, पढ़ें व चर्चा करें। शिक्षा विभाग का दायित्व है कि वह इसके लिए बेहतर माहौल बनाए।