क्लॉथ मेकर से लेकर बैंड संचालक का पद्मश्री से हो चुका है सम्मान, लेकिन लगातार 12 दिनों तक गायकी करने वाली गुरुमाताओं को अब तक नहीं मिला कोई सम्मान

तहलका न्यूज जगदलपुर// पद्मश्री सम्मानित तीजन बाई अनपढ़ होने के बावजूद महाभारत की कथा को धाराप्रवाह कहती हैं। ठीक उसी तरह बस्तर में लक्ष्मी जगार गाने वाली गुरु माताएं भी अनपढ़ हैं, और इन्हें लक्ष्मी जगार के 49 हजार पद कंठस्थ है। गुरुमाएं बस्तर के वाचिक साहित्य को सैकड़ों वर्षों से सहेजती आ रहीं हैं, किंतु इन्हें अब तक कोई पुरस्कार नहीं मिल पाया है, इसलिए बस्तर के कलाकार उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। ज्ञात हो कि बस्तर में परंपरानुसार जो विशेष अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं, उन्हें जगार कहा जाता है। बस्तर में तीजा जगार, बाली जगार, आठे जगार और लक्ष्मी जगार प्रमुख हैं। जगार उत्सव 12 घंटे से लेकर 12 दिनों तक का होता है। जगार के दौरान जो गीत गाए जाते हैं। उनमें संबंधित देवी-देवताओं को महिमा होती है। परंपरानुसार बस्तर में इन पदों की जो महिलाएं गायकी करती हैं, इन्हें गुरुमाय कहा जाता है। जगार गाने वाली ये सभी महिलाएं अनपढ़ हैं, और कठिन अभ्यास से गायन सीखी है।
क्या ये महिलाएं भी नहीं है, सम्मान के हकदार हैं।
बस्तर को विभिन्न कला का गढ़ माना जाता है। यहां के बेलमेटल, लौह शिल्प, टेराकोटा, दस्तकारी, क्लाथ डिजाइन के साधकों को राज्य और केंद्र शासन द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। इतना ही नहीं बस्तर बैंड संचालक को पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है, किन्तु हजारों पदों को कंठस्थ रख लगातार 12 दिनों तक गायकी करने वाली गुरु माताओं को एक भी सम्मान नहीं दिया गया है। यह संबंध में पद्मश्री विभूषित व अहिल्या पुरस्कार से सम्मानित तीजन बाई ने कहा है कि बस्तर के कलाकारों को उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। बस्तर विभिन्न विधा से परिपूर्ण है और वहां के कलाकार भी सम्मान के हकदार हैं।