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रथयात्रा पर रियासत काल में गोंचा पर्व पर चलते थे सात रथ, भगवान राम को अलग रथ में किया जाता था रथारूढ़

तहलका न्यूज जगदलपुर// बस्तर गोचा पर्व के लिए नए रथ का निर्माण कार्य जोर-शोर से किया जा रहा है। रियासतकाल में गोंचा के मौके पर यहां सात रथों का संचालन होता था, किंतु अब परम्परा के अनुसार 3 रथों का ही संचालन किया जाता है। बस्तर गोंचा के तहत रथ यात्रा 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज द्वारा निकाली जाएगी। इसके पूर्व नेत्रोत्सव विधान संपन्न किया जाएगा। 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के वरिष्ठ सदस्य राकेश पांडे ने बताया कि रियासतकाल में गोचा के मौके पर यहां सात रथों का संचालन होता था। भगवान जगन्नाथ मंदिर के छह मंदिरों में विराजित भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के विग्रहों को छह रथों पर विराजित किया जाता था, वहीं सातवें रथ में भगवान राम-सीता और लक्ष्मण की प्रतिमा विराजित की जाती थी। उन्होंने बताया कि यहां स्थापित 22 विग्रह को ही छह रथों में विराजित किया जाता था, लेकिन अब इन्हें तीन रथों में विराजित कर रथयात्रा शुरू होती है।

गोंचा महापर्व देव स्नान पूर्णिमा से शुरू हो गया है, पूर्णिमा के दिन बीमार पड़े भगवान जगन्नाथ का अनसर काल चल रहा है। 27 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में अगला विधान नेत्रोत्सव के रूप में होगा। 615 साल से चली आ रही इस परंपरा में पिछले एक दशक की तरह भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा का श्रृंगार रजत आभूषण से किया जाएगा। ट्रेजरी में रखे भगवान के आभूषणों को मंदिर में लाया जाएगा।

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