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क्रांतिवीरों को नहीं भूला समाज, भूमकाल आंदोलन के क्रांतिवीरों का बनाया जाएगा स्मारक चिन्ह

11 मार्च 1910 को जगदलपुर के गोल बाजार में दी गई थी खुलेआम फांसी

तहलका न्यूज जगदलपुर// भूमकाल आंदोलन के दौरान क्रांतिवीर गुंडाधुर का बायां हाथ कहे जाने वाले ढेबरीधुर को 11 मार्च को 1910 को गोल बाजार में फांसी दी गई थी। उस शहीद की प्रतिमा समाज द्वारा तोंगपाल चौक में स्थापित की गई है, चूंकि वह एलंगनार गांव का रहने वाला था। जंगलों पर पहला अधिकार आदिवासियों का है, इस बात को लेकर ऐतिहासिक भूमकाल आंदोलन वर्ष 1908 के पहले शुरू हो गया था। इसका नेतृत्व नेतानारीन देवी के पुजारी गुंडाधुर ने किया था। अपने ही लोगों द्वारा मुखबिरी के कारण गुंडाधुर का साथी ढेबरीधुर और लगभग 51 क्रांतिकारी अंग्रेज पुलिस के गिरफ्त में आ गए थे। इधर लोगों में दहशत पैदा करने के उद्देश्य से 21 मार्च 1910 को ढेबरीधुर और उनके कुछ साथियों को नगर मध्य गोल बाजार के इमली पेड़ में सरेआम फांसी पर लटका दिया गया था।

आदिवासी समाज प्रतिवर्ष भूमकाल दिवस मनाता है, और इमली पेड़ के नीचे क्रांतिवीरों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता है। अपने क्रांतिकारियों के ऐतिहासिक कार्यों को चिर स्थाई बनाने के उद्देश्य से संभागीय मुख्यालय से 55 किमी दूर तोगपाल पुसपाल चौक पर क्रांतिवीर ढेबरीधुर की प्रतिमा धुर्वा समाज द्वारा स्थापित की गई है। साथ ही 1910 में भूम काल आंदोलन के तहत जिन 51 क्रांतिवीरों को जेल भेजा गया था। उनका नाम भी प्रतिमा स्थल पर अंकित किया गया है।

हुई क्रांतिवीरों की उपेक्षा

धुरवा समाज के पूर्व कोषाध्यक्ष मंगलूराम कश्यप ने बताया कि भूमकाल आंदोलन को शासन मानती है, किंतु उस काल में जिन आदिवासी क्रांतिवीरों को साढ़े 6 साल से लेकर 6 माह तक की सजा दी गई थी। उन्हें अब तक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा नहीं दिया गया है। यहां तक कि गुंडाधुर को भी नहीं। यह आदिवासी समाज के लिए अपमान की बात है। इस दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार को विचार करना चाहिए।

स्मारक बनाने की चर्चा

इधर जिला पंचायत कार्यालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 1910 भूमकाल के लड़ाकों की सूची विधिवत तैयार की जा रही है। ऐसी चर्चा है कि उनके नाम से उनके ही गांव में स्मारक तैयार किया जाएगा।

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