चापड़ा चीटियां दे रही सैकड़ो को रोजगार
तहलका न्यूज़ बस्तर// जिले के लाल चींटी अर्थात चापडा यहां के लोगों की पसंदीदा चटनी ही नहीं बल्कि प्रतिदिन सैकड़ो ग्रामीणों को रोजगार देने का साधन भी है। एक अनुमान के अनुसार बस्तर में प्रतिदिन कम से कम 15 साप्ताहिक बाजार लगते हैं। जहां लगभग ₹5000 तक की चापड़ा चींटी बिकती है। इस हिसाब से 1 साल में लगभग 15 करोड रुपए के चापड़ा का कारोबार हो जाता है। भले ही पड़ोसी राज्य उड़ीसा ने चापड़ा चटनी को अपना बताकर इसे पेटेंट करवा लिया है, किंतु बस्तर के यहां के ग्रामीणजन पुरातन काल से ही चापड़ा चींटी का उपयोग चटनी बनाकर खाने में करते आ रहे हैं। यहां के साल वनों में चापड़ा आज भी पनप रही है, और रोजगार का माध्यम बनी हुई है। छत्तीसगढ़ शहीद कई राज्यों में चापड़ा चटनी लंबे समय से लोकप्रिय है। आदिवासी समाज के लोग सामान्य सर्दी बुखार पीलिया आंतो की समस्याओं, खांसी को ठीक करने एवं भूख बढ़ाने के लिए चापड़ा चटनी खाते हैं मलेरिया समिति कई रोगों के इलाज में तो यह रामबाण माना जाता है। बस्तर की चटपटी चापड़ा चटनी एक ऐसी ही डिश है, जो ओडिशा और झारखंड में भी खूब लोकप्रिय है, छत्तीसगढ़ की यह दिशा विश्व भर में प्रसिद्ध है।