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कॉलेजों में अब दो बार होगी एडमिशन और दो बार होंगे फाइनल एग्जाम

तहलका न्यूज रायपुर// दुनिया के टॉप ग्लोबल इंस्टीट्यूट की तर्ज पर अब देश के उच्च शिक्षा संस्थानों में साल में दो बार एडमिशन हो सकेंगे। यूजीसी ने इसकी अनुमति दे दी है। पहला सत्र जुलाई-अगस्त तो दूसरा जनवरी-फरवरी में शुरू होगा। दोनों सत्र 12-12 महीने चलेंगे। दोनों के लिए दो बार प्रवेश परीक्षा और दो बार फाइनल परीक्षा होंगी। दूसरा सत्र नवंबर-दिसंबर में खत्म होगा। यह व्यवस्था जनवरी-2025 के सत्र से लागू होगी। इस फैसले से विश्वविद्यालय व उच्च शिक्षा संस्थानों में रेगुलर मोड में ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी के सभी पाठ्यक्रमों में जनवरी 2025 से दाखिले होंगे। अभी दुनिया की टॉप- 300 यूनिवर्सिटीज में साल में दो बार दाखिले होते हैं।

यूजीसी चेयरमैन प्रो. एम. जगदेश कुमार ने बताया कि इस व्यवस्था से दो अलग-अलग सत्र चलाने का प्रावधान सभी विश्वविद्यालयों के लिए अनिवार्य नहीं है, लेकिन जिनके पास तय मानकों के हिसाब से पर्याप्त बुनियादी संसाधन उपलब्ध हैं, ऐसे विश्वविद्यालय जनवरी, 2025 से ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन व पीएचडी सभी कोर्सेज के लिए अपना दूसरा सेशन शुरू कर सकते हैं। इन संस्थानों के पास जनवरी सत्र शुरू करने की तैयारी के लिए अभी छह महीने का वक्त है

2022 में पहला प्रयोग… एक साल में डिग्री मिली

यूजीसी चेयरमैन प्रो. एम. जगदेश कुमार ने बताया कि पिछले वर्ष यूजीसी ने ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (पत्राचार) और ऑनलाइन माध्यम में उच्च शिक्षा संस्थानों में साल में दो चक्रों में दाखिला देने की अनुमति दी थी। जुलाई 2022 के सत्र में 19,73,056 छात्रों ने दाखिला लिया था, लेकिन इस अनुमति के बाद जनवरी, 2023 सत्र में अतिरिक्त 4,28,854 छात्रों ने दाखिला ले लिया। इस आंकड़े से पता चला कि दूसरे अकादमिक सत्र की इजाजत से करीब सवा चार लाख से ज्यादा छात्रों को डिग्री कोर्स में दाखिला पाने के लिए पूरे एक साल का इंतजार नहीं करना पड़ा।

फायदा… सीटें बढ़ेंगी, एक साल का इंतजार भी खत्म

प्रो. जगदेश के मुताबिक छात्रों को साल में दो बार दाखिला देने से सीटें बढ़ेंगी। लेकिन, कितनी, ये आवेदनों पर ही तय होगा। दूसरा ऐसे छात्र जो बोर्ड रिजल्ट में देरी, स्वास्थ्य कारणों या अन्य किसी निजी कारण से जुलाई/अगस्त सत्र में दाखिला नहीं ले पाते, उन्हें जनवरी में दाखिला मिल सकेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में वर्ष 2035 तक उच्च शिक्षा में छात्रों का नामांकन अनुपात को 50% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।

प्लेसमेंट… जहां भीड़ ज्यादा, वहां दो बार मिलेगा मौका

प्रो. जगदेश ने बताया कि देश में अच्छा प्रदर्शन करने वाली टॉप यूनीवर्सिटी ही इस प्रावधान को अपना पाएंगी, क्योंकि जिन संस्थानों में पहले से ही सीटें खाली रह जाती हैं, वहां भला दूसरे सत्र में कौन दाखिला लेना चाहेगा। उद्योग जगत भी साल में दो बार कैंपस प्लेसमेंट हो सकेंगे और छात्रों के पास रोजगार के मौके बढ़ेंगे। साल में दो अलग-अलग चक्र में दाखिले से दुनिया टॉप यूनिवर्सिटी के साथ एमओयू करने में आसानी होगी।

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