सुकमा जिले के कोंटा क्षेत्र में मिला ग्रेनाइट का बेशुमार भण्डार

तहलका न्यूज जगदलपुर// खनिज संपदाओं से धन-धान्य बस्तर अंचल में समय रहते कई बेशकीमती खनिज पदार्थों का दोहन नहीं हो पा रहा है, बल्कि कई कारणों से ये बेशकीमती खनिजों के विलोपित होने का खतरा बना हुआ है। ऐसा ही एक मसला सुकमा जिले के कोटा इलाके में सामने आ रहा है। कोटा के वे इलाके जिसे पोलावरम बांध के जद में आने की बात कहीं जा रही थी, वहां बेशकीमती काले ग्रेनाइट पत्थर का अकूत भण्डार मौजूद है। हालांकि सेफ्टी वॉल एवं ऊंचाई कम करने की घोषणा के बाद इसके जलमग्न होने का खतरा कम हो गया है, लेकिन वर्तमान में इसका समुचित दोहन नहीं हो रहा है।
गौरतलब है कि कोटा क्षेत्र में बेशकीमती काले ग्रेनाइट पत्थर होने की पुष्टि खनिज विभाग ने की थी, कुछ समय पूर्व तक एक निजी संस्थान द्वारा लीज पर लेकर इसका दोहन भी शुरु किया गया, लेकिन वर्तमान में यहां इसका दोहन बंद है। कुछ समय पूर्व तक इन खदानों के पोलावरण जल विद्युत परियोजना की चपेट में आने की आशंका बनी हुई थी। इस बांध की चपेट में ग्रेनाईट के अलावा कोरण्डम सहित अन्य गौण खनिज के साथ-साथ अन्य रत्नों के खदान भी डूब जाने से छत्तीसगढ़ सरकार को अरबों रूपयों के राजस्व की हानि की आशंका जतायी जा रही थी। लेकिन अब कहा जा रहा है कि इन क्षेत्रों तक बांध का पानी नहीं पहुंचेगा और ज्यादा नुकसान नहीं होगा। लेकिन शासन को चाहिए कि इनका नियमित रूप में दोहन के लिए फिर से टेंडर जारी किया जाये।
ग्रेनाइट खदान को बचाने की कवायद
उल्लेखनीय है कि पोलावरम क्षेत्र में निर्माणाधीन बांध की जद में छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला सहित ओडिशा के कुछ इलाके भी डुबान क्षेत्र में आ रहे थे। इस मुद्दे को लेकर छत्तीसगढ़ व ओडिशा सरकार का तेलंगाना सरकार मे कई दौर की बात-चीत हुई और इस मामले में न्यायालय में भी सुनवाई चली, इन सबके बाद केन्द्र शासन के हस्तक्षेप बाद बांधी की ऊंचाई कम करने और सेफ्टी वॉल के निर्माण का आश्वासन दिया गया, वर्तमान में इस उम्मीद में हैं कि ये खदान बांध के पानी में डूबने से बच जाये।
जीएसआई के सैटेलाईट सर्वे में बस्तर में गुलाबी, पीले और काले ग्रेनाइट के बड़े भण्डार होने की जानकारी मिली थी। इसमें में कोष्टा क्षेत्र में पाये जाने वाला काला ग्रेनाइट सबसे कीमती और बेहतर क्वॉलिटी का होने की वजह से इसकी देश-विदेश में खासी मांग है। ऐसे खनिजों के दोहन तथा सफाई व निर्यात से छत्तीसगढ़ को अरबों रूपयों की रॉयल्टी प्राप्त हो सकती है, लेकिन वर्तमान में सरकारी तौर पर इसका दोहन बंद है।