चित्रकूट अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता से प्रसिद्ध है, तो वही प्राचीन विष्णु मंदिर के वैभव शालीनता से लोग हैं अनजान

तहलका न्यूज जगदलपुर// चित्रकूट का इलाका प्राकृतिक सुंदरता के साथ पुरातात्विक संपदा से भी संपन्न है। नागवंशी होने के बावजूद चित्रकूट की महारानी गुंड महादेवी परम विष्णु भक्त थी। उन्होंने ही चित्रकूट जलप्रपात से मा 6 किलोमीटर दूर नारायणपाल में 913 साल पुराना विशाल विष्णु मंदिर बनवाया था, यह मंदिर बस्तर की स्थापत्य कला का बेहतरीन उदाहरण है। विडंबना यह है की जानकारी के अभाव में चित्रकूट आने वाले लाखों सैलानी शब्द 1111 में बनाए गए इस पुरातात्विक धरोहर को देखने से वंचित हो जाते हैं, बस्तर जिले में इंद्रावती और नारंगी नदियों के सूरमा संगम के पास बस एक गांव है नारायणपाल। जगदलपुर से मात्रा लगभग 38km दूर। चित्रकूट मार्ग से सीधे लोहंडीगुड़ा से भानपूरी की तरफ अलग-अलग रंगों वाली धाराओं का प्रवाह मन को आकर्षित करती है, इसी संगम का पानी आगे चलकर चित्रकूट के प्रसिद्ध जल सौंदर्य की सृष्टि करता है। नदी के उसे पर एक दर्शनीय पुरातत्व भव्य मंदिर के रूप में खड़ा है इस मंदिर को नारायण पाल का मंदिर कहते हैं।
मंदिर अपनी प्रशंसनीय बनावट के लिए प्रसिद्ध है नजदीक जाने पर ही मंदिर की प्राचीनता खुल पाती है, नारायण पाल स्थित वह नागकालीन विष्णु मंदिर आज भी अपने विगत वैभव की याद दिलाता खड़ा है। प्राप्त पुरातात्विक पाषाणिक अवशेषों पर उत्कीर्ण नक्काशी रूपांकन उभार और अलंकरण के अवलोकन से यह ज्ञात होता है कि नागों के समय से कला कौशल कितना उन्नत था। नागवंशी कल में बस्तर में अच्छे विद्वान रहते थे उसे काल की प्राचीन शिल्पकारी भी प्रशंसनीय है। मंदिर में विष्णु जी की ऐतिहासिक मूर्ति है, वही मंडप में 11वीं शताब्दी का एक शिलालेख भी है जिसमें शिवलिंग, सूर्य–चंद्रमा के अलावा गौ माता व बछड़े की आकृति भी उकेरी गई है। इस मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भारत द्वारा प्राचीन संस्मरक एवं पुरातात्विक स्थल व अवशेष अधिनियम 1958 के अंतर्गत राष्ट्रीय महत्व का घोषित किया गया है।