अवैध कब्जाधारी को पंचायत का खुलेआम संरक्षण, पुलिस भी मामले की जांच करने में सुस्त!
तहलका न्यूज दुर्ग// जिले के ग्राम पंचायत चिंगरी में एक फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है जिसमें पंचायत सचिव ने बिना किसी आवेदन व प्रस्ताव के फर्जी एनओसी जारी किया है, इसमें दुर्ग पुलिस प्रशासन का रवैया बहुत ही ढीला ढाला दिखाई दे रहा है, पुलिस द्वारा कोई एफआईआर भी नहीं किया जा रहा है। दरअसल पूरा मामला यह है कि एक अवैध कब्जाधारी ने पंचायत के लेटरपैड से फर्जी सील साइन करवाकर बाकायदा उसे तहसील न्यायालय में जमा भी कर दिया इसकी जांच पड़ताल के बाद सचिव ने बयान दर्ज कराया की यह फर्जी लेटर पैड है जिसमें हमारे सील साइन का दुरुपयोग हुआ है। बाकायदा पंचायत प्रस्ताव लिया गया और एफआईआर के लिए 16 महीने पहले अंडा थाने में आवेदन दिया गया है। लेकिन मामले में आज तक एफआईआर नहीं हो सका है।
पंचायत सचिव की है मिली भगत
शिकायतकर्ता खोमेंद्र साहू ने बताया कि उन्होंने बिंदुवार तरीके से जांच की मांग पुलिस अधीक्षक दुर्ग और जनपद पंचायत सीईओ, जिला कलेक्टर सहित मुख्य सचिव गृह विभाग से भी की है लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत दुर्ग से ग्राम पंचायत चिंगरी के सचिव कुलेश्वर साहू द्वारा पंचायत अधिनियमों की घोर उल्लंघन कर “एनओसी फर्जीवाड़ा” में मिलीभगत करने पर कार्यवाही हेतु आवेदन भी दिया गया है।
शिकायतकर्ता ने बताया है कि, ग्राम पंचायत चिंगरी सचिव कुलेश्वर साहू ने अपने से होकर बिना किसी प्रस्ताव के ग्राम पंचायत अंडा को बिना किसी आवेदक और आवेदन के एक अनापत्ति प्रमाण पत्र दिसंबर 2019 में जारी किया था। जो कि अंडा पंचायत को प्राप्त ही नहीं हुआ है। इसकी जानकारी रूपेश राजपूत सचिव अंडा पंचायत से ली जा सकती है। एनओसी जारी करने के बाद उक्त अनापत्ति प्रमाण पत्र में गांव के संजय साहू पिता हृदय राम साहू द्वारा फर्जीवाड़ा कर अपने आप को मकान के नाम से एनओसी जारी कर लिया। इसके संबंध में थाने में एफआईआर के लिए आवेदन भी हुआ है। सचिव द्वारा तहसील न्यायालय अंडा थाना एवं जनपद पंचायत को दिए गए बयानों में ये जाहिर होता है कि उन्होंने यह अनापत्ति प्रमाण पत्र अंडा पंचायत के लिए जारी किया था। उसका पंचायत के आवक जावक में भी उल्लेख है।
सचिव के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने का किया मांग
अवैध कब्जाधारी के निर्माण को पंचायत के संरक्षण के कारण अभी तक हटाया नहीं जा सका है, जून 2023 में उक्त मामले पर एसडीएम न्यायालय में अपील खारिज किया जा चुका है संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई तेज होने पर 9 महीने के बाद संभाग आयुक्त कार्यालय में पुनः अपील दायर किया गया है। एनओसी फर्जीवाड़ा मामले में पुलिस इसे न्यायालय में प्रक्रियाधीन बताती है। जबकि अवैध मकान को बचाने के लिए संभाग आयुक्त के न्यायालय में प्रकरण चल रहा है वहीं फर्जीवाड़ा मामले में थाने में कार्रवाई विवेचनाधीन ही रखा गया है। 16 महीने बीतने के बाद भी पुलिस इस मामले पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। जबकि शिकायतकर्ता अपना बयान दर्ज करा चुके हैं।शिकायतकर्ता ने कहा कि वह पहले कंप्यूटर ऑपरेटर था गांव में पंचायत सचिव ने उसे नौकरी से निकाल दिया उसके जगह दूसरे को रख लिया। काम नहीं होने पर उसने अखबार बांटने का काम शुरू किया अवैध कब्जाधारी भी अखबार बांटने का काम करता है। दोनों व्यावसायिक रूप से एक ही काम करते हैं अब पुलिस थाने में उसे उसी दृष्टिकोण से देखा जा रहा है जबकि ऐसा कतई नहीं है। मैं अपने हिस्से की कमाई खा रहा हूं। जो पंचायत में भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा हुआ है उसको मैंने उजागर किया है गांव में अवैध कब्जा किया जा रहा है और उसमें सचिव की भी मिली भगत साफ जाहिर हो रहा है। कोई कार्रवाई नहीं हो रहा है मैं भटक रहा हूं।