6 माह का डीएलएड प्रशिक्षण देने शिक्षा विभाग का फर्जी पत्र हुआ वायरल
सहायक संचालक के हस्ताक्षर से जिला शिक्षा अधिकारियों के नाम पर जारी हुआ है पत्र
हाईकोर्ट द्वारा बीएडधारी सहायक शिक्षकों की नियुक्त रद्द करने से मचा है बवाल
तहलका न्यूज रायपुर// प्राइमरी स्कूल में बीएडधारी सहायक शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त किए जाने के हाईकोर्ट के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर जिला शिक्षा अधिकारियों के नाम फर्जी आदेश वायरल किया गया है। सोशल मीडिया पर पत्र वायरल होने के बाद लोक शिक्षण संचालनालय ने स्पष्ट किया है कि यह पत्र पूरी तरह फर्जी है। सोशल मीडिया में लोक शिक्षण संचालनालय के नाम से पत्र वायरल हुआ है। गत वर्ष हुई शिक्षकों की भर्ती में प्राइमरी स्कूल के सहायक शिक्षक के पद पर डीएड के साथ ही बीएड डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को भी नियुक्ति दी गई। इसको हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुनवाई के बाद कुछ दिनों पहले हाईकोर्ट ने बीएड वाले सहायक हायक शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करने का आदेश जारी। जिससे बीएडधारी सहायक शिक्षकों में हड़कम्प मच गया। बताते हैं कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है। वहीं कुछ और राज्यों के प्रकरण भी सुप्रीम कोर्ट में हैं। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को लेकर भी असमंजस की स्थिति है। जिसके कारण स्कूल शिक्षा विभाग ने अब तक आगे कोई कार्रवाई नहीं की है। इधर, सहायक संचालक लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र सोमवार को सोशल मीडिया में वायरल हुआ है। इसमें उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली के आदेश के परिप्रेक्ष्य में छत्तीसगढ़ के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को संबोधित करते हुए सीधी भर्ती 2019 और 2024 में नियुक्त ऐसे समस्त सहायक शिक्षक जिनकी व्यावसायिक योग्यता केवल बीएड है, उन शिक्षकों को छह माह का प्रशिक्षण देकर उनकी योग्यता डीएलएड के समकक्ष करने हेतु निर्देशित किया गया है। यह पत्र शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों तक पहुंचा तो वे चकित रह गए, क्योंकि लोक शिक्षण संचालनालय ने इस तरह का कोई पत्र जारी ही नहीं किया है।
साढ़े 3 हजार से ज्यादा सहायक शिक्षक अधर में
हाईकोर्ट द्वारा बीएडधारी सहायक शिक्षकों की नियुक्ति रद्द किए जाने के आदेश से साढ़े 3 हजार से ज्यादा शिक्षकों का भविष्य अधर में में है। है शिक्षा विभाग ने भी अभी तक उनके संदर्भ में कोई फैसला नहीं लिया है। अभ्यर्थियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट से राहत संबंधी फैसले का हवाला दिया जा रहा है किन्तु इस पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। वहीं आधार संहिता के चलते विभाग ने संचालनालय ने विधि विभाग से मार्गदर्शन कोई कार्रवाई नहीं की है। लोक शिक्षण भी मांगा था।