बुआ जी ने छू लिया दिल: रायपुर के कलाकारों ने मचाया धमाल|

रायपुर के रंग मंदिर मंच पर एक नाटक का प्रदर्शन हुआ। इस नाटक में कलाकारों की जिंदगी की झलक दिखी। किरदार बड़ी बुआजी को नाटकों में कोई रुचि नहीं थी। वह नाटक नहीं देखती थीं, लेकिन उनकी भतीजी को उसमें काम करना अच्छा लगता था। बुआजी शहर से बाहर रहती थीं। एक दिन बुआजी के भाई पुरुषोत्तम बाबू के घर नाटक की रिहर्सल चल रही थी। इस नाटक में भतीजी अनु ने मुख्य भूमिका निभाने के लिए रिहर्सल की।
कहानी आगे बढ़ती है एक दिन पता चला है कि बुआजी घर पर आ रही हैं। बस यहीं से तनाव होने लगा, क्योंकि बुआजी को नाटक पसंद नहीं था। जैसे-तैसे बुआजी को राजी किया गया। इसी के इर्द-गिर्द नाटक बुआजी का ताना बाना बुना गया है।
अग्रगामी नाट्य समिति के अध्यक्ष प्रेमचंद लुनावत के नेतृत्व में नाटक का मंचन किया गया। इसके मूल लेखक स्व. बादल सरकार हैं, इसका अनुवाद प्रतिभा अग्रवाल ने किया। नाटक का निर्देशन छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध रंगकर्मी जलील रिजवी ने किया। नाटक के विविध पात्रों में नाटक में मुख्य भूमिका निभाने वाली पात्र अनुपमा, उसके पिता पुरुषोत्तम, बुआजी के अलावा फूफाजी आदि के पात्रों ने बेहतरीन अभिनय किया।