लू से बचने के लिए आवश्यक सावधानी बरतें-सीएमएचओ डॉ बीएल राज
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी.एल. राज ने लू और गर्मी से बचने की अपील की
कवर्धा । मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी.एल. राज ने लू के संबंध में जानकारी देते हुए समस्त जिलेवासियों से अपील की है। उन्होंने कहा कि ग्रीष्म ऋतु के मौसम में तापमान में वृद्धि के चलते भीषण गर्मी पड़ने से नागरिकों को लू लगने की आशंका होती है। मौसम परिवर्तन के बाद अब तेज धूप व गर्मी पड़ने लगी है, ऐसे में लू लग सकती है। सूर्य की तेज गर्मी के दुष्प्रभाव से शरीर के तापमान में विपरीत प्रभाव पड़ता हैं। जिसके कारण शरीर का तापमान अनियंत्रित होकर अत्यधिक बढ़ जाता है। शरीर में पानी और खनिज लवण नमक की कमी हो जाती है, इस स्थिति को लू लगना या हीट-स्ट्रोक कहा जाता है। वर्तमान में ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में लोग घर से बाहर जाकर खेती, खरीददारी आदि का कार्य कर रहे हैं। लोग अपने साथ पर्याप्त मात्रा में पानी व पेय पदार्थ लेकर नहीं जाते। इस कारण निर्जलीकरण के शिकार हो जाते हैं। इससे समय पर उपचार न मिलने के कारण मरीज की हालात गंभीर हो जाती है।
नोडल अधिकारी(आई.डी.एस.पी.) डॉ. केशव ध्रुव ने बताया कि जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, उपस्वास्थ्य केन्द्र में लू से बचाव व उपचार के लिए पर्याप्त मात्रा में आवश्यक जीवन रक्षक दवाई, ओआरएस पैकेट उपलब्ध है, लू लगना या हीट-स्ट्रोक, खतरनाक व जानलेवा भी हो सकता है। जन सामान्य से अपील की जाती है कि, लू से बचने के लिए बाहर निकलते समय काफी मात्रा में पानी तथा अन्य पेय पदार्थ जैसे-नींबूपानी, मट्ठा, जलजीरा, पना, इत्यादि का सेवन करके बाहर निकले। साइकिल, स्कुटी, मोटरसाइकिल में चलते समय सिर-कान मुलायम कपड़े से ढककर चलें, चश्मा, टोपी पहनें, हो सके तो बीच-बीच में छांयादार स्थान पर रूक-रूक कर विश्राम करें, और जल एवं ताजा फलों एवं जूस का सेवन करें एवं ओ.आर.एस. घोल का उपयोग करें। ओ.आर.एस. पैकेट उपलब्ध ना होने की स्थिति में एक ग्लास पानी में एक चम्मच शक्कर एक चुटकी नमक तथा कुछ बुंदे नीबू का रस घोल बनाकर पीना लाभकारी होगा। पेशाब एवं पसीना कम आने, बुखार रहने की स्थिति नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र जाकर चिकित्सकीय सलाह लें।