छत्तीसगढ़ में एक और स्थान को मिला पर्यटन स्थल का दर्जा, जाने क्या है
रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार ने एक और स्थान को पर्यटन स्थल घोषित किया है | जिला बलरामपुर-रामानुजगंज पहुंचे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि तातापानी की धरती बहुत पवित्र धरती है। यह धरती रामकथा से जुड़ी है। तातापानी महोत्सव का आरंभ हमारी सरकार ने ही किया था। इसके बाद हर साल यह महोत्सव भव्य रूप लेता जा रहा है। तातापानी को पर्यटन स्थल के रूप में मैं घोषित करता हूँ।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर रघुनाथ नगर में महाविद्यालय की घोषणा भी की, साथ ही डीपाडीह कला में नवीन पुलिस चौकी की घोषणा भी की। अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने सरगुजा संभाग की जनता को मकर संक्रांति की बधाई के साथ ही उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा कि सरगुजा की जनता ने मोदी जी की गारंटी पर भरोसा किया। हम आपके भरोसे पर खरा उतरेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले पांच सालों में छत्तीसगढ़ का जो विश्वास रूक गया था, वो अब तेजी से होगा। डबल इंजन की सरकार में विकास कार्यों को बहुत तेज गति मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि तातापानी का संबंध माता सीता से है। यह बहुत पवित्र स्थल है। यह हम लोगों के लिए बहुत खुशी की बात है कि 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। हमें इस महत्वपूर्ण आयोजन को देखते हुए पूरा माहौल राममय कर देना है। हर जगह भजन-कीर्तन आदि माध्यमों से पूरा माहौल भक्तिमय करना है।मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी जी की गारंटी के अनुरूप सभी वायदे पूरा करेंगे। क्षेत्र की जो मांगें हैं उन्हें भी पूरा करेंगे।
इस मौके पर संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि तातापानी में भगवान राम-सीता जी के पवित्र चरण पड़े। हमारा सौभाग्य है कि हमने ही 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के समय में तातापानी महोत्सव की शुरूआत की थी। हमारी आस्था के केंद्रों के विकास का काम मोदी जी के नेतृत्व में हो रहा है। प्रभु राम 22 तारीख को आ रहे हैं। उनके आगमन की भव्य तैयारी करनी है। तातापानी के राम कथा से संबंधित महात्म्य के बारे में तथा यहां के जल के बारे में बताते हुए श्री अग्रवाल ने कहा कि ऐसी पवित्र जगह पर 400 जोड़े वैवाहिक बंधन में बंध रहे हैं उन्हें भी मैं शुभकामनाएं देता हूँ। इस मौके पर कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम ने भी उपस्थितजनों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि तातापानी का पर्यटन स्थल के रूप में इस तरह से विकास करना है कि पूरे देश के नक्शे में इसका नाम आ जाये। उन्होंने इसके विकास की संक्षिप्त रूपरेखा भी बताई।