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नक्सलियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन की तैयारी: नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन, जंगल में भी घुस रही फोर्स|

नक्सलियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ पुलिस ने ऑपरेशन मानसून शुरू कर दिया है। आमतौर पर हर साल बारिश में जंगलों के भीतर ऑपरेशन बंद कर दिया जाता है। नक्सली इसका फायदा उठाकर गांव में आसानी से घुसकर नई भर्ती के प्रयास करते हैं। मानसून में फोर्स का मूवमेंट बंद होने से उन्हें तैयारी का मौका भी मिल जाता है। पुलिस ने इस साल बस्तर में भारी बारिश के बाद भी ऑपरेशन बंद नहीं किया है। डीआरजी, एसटीएफ और अर्धसैनिक बल की संयुक्त टीम लगातार जंगल में ऑपरेशन कर रही है।

धमतरी और महासमुंद में नक्सल ऑपरेशन के लिए स्पेशल डीआईजी की पोस्टिंग उसी प्लानिंग का हिस्सा है। पहली बार नक्सल मोर्चे पर चार डीआईजी की पोस्टिंग की गई है। पहली बार रायपुर रेंज के भीतर नक्सल ऑपरेशन के लिए भी अलग से पोस्टिंग की गई। डीआईजी केएल ध्रुव को गरियाबंद, धमतरी और महासमुंद में नक्सल विरोधी ऑपरेशन की कमान सौंपी गई है।

डीआईजी ध्रुव लंबे समय तक नक्सल मोर्चे पर अभियान चला चुके हैं। उनके अनुभव का नक्सल मानसून ऑपरेशन में उपयोग किया जा रहा है। वे तीन जिलों में नक्सल विरोधी मूवमेंट संभालेंगे। वहीं केंद्र से प्रतिनियुक्त खत्म होने पर लौटे डीआईजी राम गोपाल गर्ग को राजनांदगांव डीआईजी बनाया गया है। इंटेलिजेंस को इनपुट मिला है कि राजनांदगांव और कवर्धा में नक्सली अपने पांव जमाने की कोशिशें कर रहे हैं।

बारिश के बाद सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा समेत कई इलाकों में नए कैंप खोलने की तैयारी है। पुलिस मांड को चारों ओर से घेरने की तैयारी कर रही है। सुकमा-बीजापुर का बॉर्डर से मांड की एंट्री होती है। यह नक्सलियों का कॉरिडोर है। यहां पर कैंप खोलने से नक्सली मांड से बाहर नहीं निकल पाएंगे। वहीं सिमटकर रह जाएंगे। इन इलाकों में सड़क का निर्माण भी चल रहा है।

डीजीपी अशोक जुनेजा खुद नक्सल ऑपरेशन को देख रहे हैं। एडीजी विवेकानंद सिन्हा भी ऑपरेशन को सीधे मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। बारिश के दौरान जंगलों में स्मॉल ऑपरेशन चलाया जा रहा है। इसमें तकनीक की मदद ली जा रही है। जहां भी नक्सलियों की उपस्थित मिल रही है। जून-जुलाई में कई बड़े नक्सलियों ने सरेंडर भी किया है।

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