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दुनिया का सबसे ताकतवर रॉकेट लॉन्च 4 मिनट बाद विस्फोट

दुनिया का सबसे ताकतवर रॉकेट लिफ्ट ऑफ के 4 मिनट बाद गल्फ ऑफ मैक्सिको के 30 किलोमीटर ऊपर एक्सप्लोड हो गया है। इसे टेक्सास के बोका चिका से लॉन्च किया गया था। ये स्टारशिप का पहला ऑर्बिटल टेस्ट था। स्टेनलेस स्टील से बने स्टारशिप को दुनिया के दूसरे सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने बनाया है। स्पेसएक्स ने कहा- स्टेज सेपरेशन से पहले स्टारशिप ने रैपिड अनशेड्यूल्ड डिसअसेंबली एक्सपीरिएंस की। इस तरह के एक टेस्ट के साथ, हम जो सीखते हैं उससे सफलता मिलती है। आज का टेस्ट हमें स्टारशिप की रिलायबिलिटी में सुधार करने में मदद करेगा।

एलन मस्क ने टीम को इस लॉन्च पर बधाई दी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘स्टारशिप के एक्साइटिंग टेस्ट लॉन्च के लिए स्पेसएक्स की टीम को बधाई। कुछ महीनों में अगले टेस्ट लॉन्च के लिए बहुत कुछ सीखा।’ इससे पहले सोमवार को भी इसे लॉन्च करने की कोशिश की गई थी, लेकिन प्रेशर वाल्व के फ्रीज होने के कारण लॉन्च 39 सेकेंड पहले रोक दिया गया।

रॉकेट का लॉन्चपैड से उड़ना ही बड़ी सफलता
स्पेसएक्स ने कहा- टीमें डेटा को रिव्यू करना जारी रखेंगीं और अगले फ्लाइट टेस्ट की दिशा में काम करेंगी। स्टारशिप के फेल होने के बाद भी स्पेसएक्स हेडक्वार्टर में एम्प्लॉइज खुशी मनाते दिखाई दिए क्योंकि रॉकेट का लॉन्चपैड से उड़ना ही बड़ी सफलता है। एलन मस्क ने भी स्टारशिप लॉन्च से दो दिन पहले कहा था- सफलता शायद मिले, लेकिन एक्साइटमेंट की गारंटी है।

स्टारशिप इंसानों को मंगल पर पहुंचाएगा
ये लॉन्चिंग इसलिए अहम थी क्योंकि ये स्पेसशिप ही इंसानों को इंटरप्लेनेटरी बनाएगा। यानी इसकी मदद से पहली बार कोई इंसान पृथ्वी के अलावा किसी दूसरे ग्रह पर कदम रखेगा। मस्क साल 2029 तक इंसानों को मंगल ग्रह पर पहुंचाकर वहां कॉलोनी बसाना चाहते हैं। स्पेसशिप इंसानों को दुनिया के किसी भी कोने में एक घंटे से कम समय में पहुंचाने में भी सक्षम होगा।

यहां कई लोगों के मन में सवाल होगा कि आखिर हमें पृथ्वी से 23 करोड़ किलोमीटर दूर मंगल ग्रह पर कॉलोनी बसाने की क्या जरूरत है? वहीं कुछ का सवाल ये भी होगा कि इतनी दूर जाने में कितना समय लगेगा, इसकी प्रोसेस क्या होगी? इंसान कैसे इस रेड प्लेनेट से वापस आएंगे? स्टारशिप की टेक्नोलॉजी क्या है? स्टारशिप क्या-क्या कर सकता है? तो चलिए एक-एक कर जानते हैं इन सवालों के जवाब

सबसे पहले बात स्टारशिप की इससे इस पूरे लॉन्च को समझना आपके लिए आसान हो जाएगा
स्पेसएक्स के स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट और सुपर हैवी रॉकेट को कलेक्टिवली ‘स्टारशिप’ कहा जाता है। ये एक रीयूजेबल ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम है। इसमें एडवांस्ड रेप्टर इंजन लगे हैं। 

फ्यूचर में मंगल ग्रह पर कैसे पहुंचेगा स्टारशिप?
स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट और सुपर हैवी रॉकेट मिलकर रियूजेबल ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम बनाते हैं जो ऑर्बिट में रिफ्यूलिंग करने में सक्षम है। ये सिस्टम मार्स की सरफेस पर मौजूद नेचुरल H2o और Co2 के रिसोर्सेज से खुद को रिफ्यूल भी कर सकता है। इंसानों पर मंगल ग्रह पर भेजने की बात करें तो सुपर हैवी बूस्टर के साथ स्टारशिप को लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद बूस्टर अलग हो जाएगा और पृथ्वी पर लौट आएगा।

अब पृथ्वी से एक रिफ्यूलिंग टैंकर लॉन्च होगा। ये टैंकर ऑर्बिट में स्टारशिप से डॉक हो जाएगा और रिफ्यूलिंग के बाद वापस पृथ्वी पर लौट आएगा। स्टारशिप अब पृथ्वी के ऑर्बिट से मंगल की अपनी यात्रा शुरू करेगा। स्टारशिप मंगल ग्रह के वायुमंडल में 7.5km/sec की रफ्तार से प्रवेश करेगा और फिर धीमा हो जाएगा। इस व्हीकल की हीट शील्ड को कई मल्टिपल एंट्री के लिए डिजाइन किया गया है। धीमा होने के बाद स्टारशिप मंगल पर लैंड कर जाएगा। मंगल ग्रह पर पृथ्वी से पहुंचने में करीब-करीब 9 महीने का समय लगेगा और वापस आने में भी इतना ही।

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