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सुतियापाट बांध किनारे पहाड़ पर मौजूद है हिंगलाज माता का दरबार, दूर- दराज से माता के दर्शन करने पहुंचते हैं श्रद्धालु

सहसपुर लोहारा| 12 किमी दूरी पर प्राकृतिक सौंदर्य के बीच स्थित है मां हिंगलाज मंदिर। पहाड़ पर भूतल से करीब 1 हजार फीट ऊंचाई पर माता का दरबार है। दर्शन के लिए श्रद्धालु करीब 2 किमी पगडंडी भरे रास्ते पर चलकर मंदिर पहुंचते हैं। सुतियापाट बांध किनारे यह पहाड़ मौजूद है, जहां ऊपर माता का दरबार है।

मंदिर सिद्धपीठ सुतियापाठ मां हिंगलाज सेवा समिति के अध्यक्ष बताते हैं कि यह क्षेत्र का सबसे बड़ा देव स्थल है। सड़क के पास से मंदिर तक की दूरी करीब 2 किमी है। आधे रास्ते तक बाइक पहुंच जाता है। इसके बाद पैदल ही रास्ता तय करना पड़ता है।

मंदिर के एक तरफ खाई, तो दूसरी ओर सुतियापाट जलाशय है, जो इस स्थान को प्रकृति से सीधा परिचय करवाती है। इस पहाड़ी और यहां के देवताओं की अनगिनत कहानियां प्रचलित हैं। मंदिर के सेवक खेमलाल खुसरो कहते हैं कि वे लगभग 40 सालों से यहां पूजा-पाठ कर रहे हैं। समिति ही मंदिर की देखरेख करती है और वे यहां पूजापाठ करते हैं। मां हिंगलाज के प्रति अंचल के लोगों में अगाध श्रद्धा है।

सिद्धपीठ होने से दूर-दूर से यहां पर आते हैं भक्तजन
यहां विराजमान माता हिंगलाज देवी सिद्धपीठ है। बुजुर्गों की मानें तो इस पहाड़ पर देवी माता कब से विराजमान हैं, यह स्पष्ट बता पाना मुश्किल है। गाय-बकरी चराने आए लोगों ने पहाड़ पर बने गुफा को देखा था। जब कुछ लोग इस गुफा के अंदर घुसे, तब पता लगा कि अंदर सिद्धपीठ देवी मां विराजमान है। इसके बाद से यहां पूजा पाठ और ज्योति कलश प्रज्ज्वलित करना शुरू किए। अब दूर- दराज से यहां माता के दर्शन करने श्रद्धालु पहुंचते हैं।

सिंह की मुख की आकृति वाला है गुफा का द्वार
जिस गुफा के अंदर देवी माता विराजमान है, उस गुफा को लोग रहस्यमयी बताते हैं। क्योंकि गुफा के अंदर जाने पर सामने में ही चट्‌टान सिंह (शेर) के मुख की आकृति का है। थोड़ी दूर में देवी मां विराजमान है। वहां से गुफा में अंदर जाने का रास्ता संकरा हो जाता है। किसी ने गुफा में पूरा अंदर घुसने की हिम्मत ही नहीं की। हालांकि, लोग अंदाजा लगाते है कि यहां से खुफा अंदर ही अंदर डोंगरगढ़ की मां बम्लेश्वरी मंदिर और भोरमदेव मंदिर तक है। लेकिन इस बात का कोई प्रमाण मौजूद नहीं है।

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