रसायन व जहरीले दवाओं का उपयोग किए बिना, फसलों के पैदावार में कर सकते हैं बढ़ोतरी, जानिए कैसे?

तहलका न्यूज दुर्ग// आईआईटी भिलाई में किसानों के लिए रसायन और जहर मुक्त टिकाऊ खेती पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। किसानों को रासायनिक खाद और जहरीले कीटनाशकों का इस्तेमाल किए बिना प्राकृतिक संसाधनों से ही धान सहित अन्य फसलों की वैदिक खेती करने के तरीके बताए गए। ताराचंद बेलजी तकनीक (टीसीबीटी) और पंच महाभूत (भूमि, गगन, वायु, अग्नि और नीर) के ऊर्जा विज्ञान और प्रकृति के जीवन विज्ञान प्रतिक्रिया से कृषि करना सिखाया गया। विशेषज्ञों ने दावा किया कि इस तकनीक से किसान मोटा धान 56 क्विंटल और पतला धान 33 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन कर सकते हैं। कार्यशाला में छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, बिहार, पंजाब और गोवा के किसान भी शामिल हुए। इस कार्यशाला का आयोजन आईआईटी भिलाई की इनोवेशन एंड टेक्नालॉजी फाउंडेशन ने किया था। किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए टीसीबीटी के प्रणेता ताराचंद बेलजी गुरुजी स्वयं आए थे।
बेलजी ने बताया कि इस तकनीक से धान-सब्जी सहित 38 प्रकार की फसलों की खेती में सफलता मिली है। रासायनिक खाद का उपयोग किए बिना किसान उन्नत खेती कर सकते हैं और ज्यादा से ज्यादा उत्पादन ले सकते हैं। 550 एकड़ लीज की जमीन पर इस तकनीक से खेती करने वाले राजस्थान से आए लेखराम यादव ने अपने अनुभव शेयर करते हुए किसानों से प्राकृतिक खेती की ओर लौटने का आग्रह किया। पंजाब से आए विशेषज्ञ पंकज मुंडा ने जमीन की उर्वरा शक्ति कैसे बढ़ाएं, इसको लेकर किसानों का मार्गदर्शन दिया। कार्यशाला में आईआईटी के डायरेक्टर प्रोफेसर राजीव प्रकाश, रिसर्च एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट के डीन प्रोफेसर संतोष बिस्वाल शामिल रहे। धान में तना छेदक, ब्लास्ट आदि रोग होता है। इस बीमारी से धान को बचाने के लिए 2 किलो चावल भिगोकर उसमें नैनो पार्टिकल आयरन, जिंक, कॉपर, सल्फर जल मिलाकर तीन बार छिड़काव करें। वेबसाइट से मात्र 50 रुपए में खरीद सकते है।
1. विशेषज्ञ बेलजी ने बताया कि धान बोने से पहले बीज को बैक्टीरिया मुक्त करें। इसके लिए 10 लीटर पानी लें। उसमें डेढ़ से पौने दो किलो नमक डालें। दो बूंद नैनो पार्टिकल गोल्ड से बने श्रवण जल डाले। इसमें बीज को डूबाएं। इससे बीज ज्यादा शक्तिशाली होगा।
2. फसल बोने से पहले नर्सरी व खेत को फंगस और बैक्टीरिया मुक्त करना होगा। इसके लिए यूरिया, डीएपी व अन्य रासायनिक खाद डालने के बजाए नैनो सिल्वर एजी प्लस तकनीक से तैयार चांदी के पानी का छिड़काव करें।
किसानों को वृक्षायुर्वेद विज्ञान से जैव रसायन, भस्म रसायन, फसल घुट्टी, ऊर्जा जल, अणु जल, जीवाणु जल, भूमि जल, मीठा जल आदि बनाना सिखाया। अग्निहोत्र के व्यापक प्रयोग के बारे में बताया गया। अणुओं और जीवाणुओं की दुनिया खेती के लिए कैसे उपयोगी है, इसकी जानकारी दी। पंच महा भूतों को शुद्ध, सजीव और संस्कारित करके प्रकृति को बिना बाधा पहुंचाए खेती करने की कला सिखाई गई।



