पाॅलीटेक्निक काॅलेज : 78% सीटें खाली फिर भी खोले जाएंगे पांच और काॅलेज
छत्तीसगढ़ के 47 पाॅलीटेक्निक काॅलेजों में एडमिशन लेने वाले छात्रों की संख्या पिछले 5 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। प्रदेश में अभी कुल 47 पॉलीटेक्निक संस्थान हैं। प्रदेश में 32 सरकारी, एक यूनिवर्सिटी व 14 निजी पाॅलीटेक्निक कालेज हैं। इनमें इस साल कुल मिलाकर 8664 सीटें थीं, जिनमें केवल 22 प्रतिशत ही भर पाई हैं। सरकारी पॉलीटेक्निक काॅलेजों की स्थिति कुछ बेहतर है, लेकिन वहां भी 5276 सीटों में केवल 16 सौ छात्रों ने ही एडमिशन लिया है।
निजी पाॅलीटेक्निक कालेजों की हालत और खराब है। वहां 2702 सीटों में से बमुश्किल 250 ही भर पाई हैं। इस हाल के बावजूद, शासन प्रदेश में इसी सत्र से 5 और नए पाॅलीटेक्निक कालेज खोलने जा रहा है। ये बगीचा, चिरमिरी, पथरिया, मरवाही और थानखम्हरिया में खोले जाएंगे। प्रदेश में इंजीनियरिंग कालेजों में छात्रों की संख्या में लगातार कमी तो आई है, पाॅलीटेक्निक कालेजों में स्थिति काफी ज्यादा खराब है। भास्कर की पड़ताल में यह बात सामने आई कि पिछले 5 साल से पाॅलीटेक्निक कालेजों में एडमिशन लेने वाले छात्रों की संख्या लगातार कम हो रही है।
13 करोड़ खर्च एक कॉलेज पर
पड़ताल में यह बात भी आई कि भवन, लैब, फर्नीचर, किताबें और स्टाफ के साथ एक पॉलीटेक्निक कॉलेज खोलने में 13 करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च अनुमानित है। जो पांच नए पॉलीटेक्निक काॅलेज खोले जा रहे हैं, उनके लिए 65 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होंगे। पॉलीटेक्निक में यदि शुरुआत में तीन ब्रांच जनरल भी खुलते हैं तो वहां एक प्रिंसिपल के अलावा तीन विभाग के विभागाध्यक्ष होंगे। इसके अलावा 10-12 व्याख्याता की जरूरी होगी।
लड़कियों की फीस माफ
राज्य में अभी 32 सरकारी पॉलीटेक्निक हैं। इसमें 28 कॉलेज को-एड तथा 4 गर्ल्स पॉलीटेक्निक हैं। सरकारी पॉलीटेक्निक में गर्ल्स की ट्यूशन फीस माफ है, यानी उन्हें पढ़ने के लिए पैसे नहीं देने पड़ते। फिर भी दाखिले कम हो रहे हैं। जानकारों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से लड़कियों का पॉलीटेक्निक के प्रति रूझान बहुत कम हो गया है। पहले लड़कियों की संख्या आधी रहती थी, अब लड़कों की तुलना में बमुश्किल 25 प्रतिशत हो गई है।
प्रदेश में 5-6 साल से लगातार घट रही है छात्रों की संख्या
हर साल आधी से ज्यादा सीटें खाली रहती थीं, इस बार तो महज 22 फीसदी सीटों पर ही दाखिला हुआ है, 78 प्रतिशत सीटें खाली हैं। यह खुलासा भी हुआ कि पॉलीटेक्निक के कुछ ब्रांच में छात्रों की रुचि ही लगभग खत्म हो गई है। जैसे, इलेक्ट्रॉनिक एंड टेलीकम्युनिकेशन, सिविल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इंडस्ट्रियल सेफ्टी एंड फायर सेफ्टी तथा मैकेनिकल की ज्यादातर सीटें खाली हैं। इन ब्रांचेस में पिछले 5-6 साल से छात्रों की संख्या लगातार घट रही है।