सखी सेंटर का महिलाओं को नहीं मिल रहा लाभ, जिले में लगातार बढ़ रहे अपहरण और दुष्कर्म के मामले
कवर्धा । जिले में महिलाओं पर होने वाले उत्पीड़न सहित विभिन्न प्रकार की हिंसा को रोकने के लिए वन स्टॉप सेंटर खोला गया है. लेकिन सेंटर में आईटी वर्कर और दो वर्करों की भर्ती नहीं होने के कारण अपने उद्देश्य को लेकर ठीक से कार्य नहीं कर पा रहा है. केस वर्कर के नहीं होने से पीड़ित महिला व बालिकाओं को आवेदन करने के लिए भटकना पड़ रहा है.
महिलाओं पर होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए के उद्देश्य से जिले में भारत माता चौक के पीछे सखी सेंटर खोला गया है. लेकिन महिला एवं बाल विकास के द्वारा पर्याप्त मात्रा में कर्मचारियों की भर्ती नहीं किया जा रहा है. इसका नतीजा यह हो रहा है कि घरेलू हिंसा, लैंगिक हिंसा, दुष्कर्म, दहेज के लिए
उत्पीड़न, टोनही बोलकर प्रताड़ित करना, बाल विवाह, लिंग चयन व भ्रूण हत्या, सती प्रथा जैसे हिंसा लगातार रहे हैं. लेकिन केस वर्कर नहीं होने के कारण ये मामले सामने नहीं आ पा रहा है. इसके चलते महिलाएं प्रताड़ित का शिकार भी हो रही है, जबकि महिलाओं को एकीकृतरूप से सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वन स्टॉप सेंटर जिले में खोला गया है. महिला कर्मचारियों की भर्ती नहीं होने के कारण महिलाओं को सहायता सहित मार्गदर्शन एवं संरक्षण नहीं मिल पा रहा है.
महिलाओं को तत्काल सुविधा उपलब्ध कराना है।
वन सखी सेंटर में एक ही छत के भीतर या बाहर किसी भी रूप में पीड़ित व संकटग्रस्त महिला को एक ही छत के नीचे एकत्रित रूप से सभी प्रकार की सुविधा व सहायता उपलब्ध कराना है. पीड़ित बालिकाओं और महिलाओं को आपातकालीन सेवा उपलब्ध कराना है. इसके साथ ही महिलाओं को चिकित्सा, विविध सहायता, मनोवैज्ञानिक
सलाह, मनोचिकित्सक चिकित्सा सहित परामर्श सुविधा एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराना है.
जिले में लगातार बढ़ रहे अपहरण और दुष्कर्म के मामले
जिले ने दुष्कर्म और अपहरण के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे है. सखी वन स्टॉफ भी पुलिस प्रशासन से मिलकर कार्य करती है, लेकिन इन सेंटरों में रिक्त पद होने के कारण इसका सखी सेंटर का लाभ पुलिस प्रशासन को नहीं मिल पा रहा है. जिले में हर साल 70 के करीब अपहरण के मामले सामने आ रहे है. 2017 से अब तक 116 अपहरण के मामले सामने आ चुके है. वहीं दुष्कर्म के मामले लगातार बढ़ रहे है. बलात्कार के मामले भी 2017 से अब तक 307 सामने आ चुके है. हर साल 60 से 70 दुष्कर्म के मामले सामने आ रहे है. महिलाओं के लज्जा भंग के मामले भी इस साल 60 सामने आए है. इसके साथ ही इस साल एक दहेज मृत्यु, यौन उत्पीड़न के 7 और पति व उसके परिवारों द्वारा प्रताड़ना के 27 मामले सामने आ चुके है.
शहर के पुलिस सहायता केंद्र भी हुआ बंद
शहरवासियों के वार्डों में पुलिस सहायता मिल सके इस उद्देश्य से शहर में पुलिस सहायता केंद्र खोला गया था. लेकिन पुलिस प्रशासन द्वारा जिले के विभन्न स्थानों पर सहायता केंद्र खोल गया था लेकिन लगभग सहायता केंद्र बंद पड़ा है, इसी प्रकार शहर के बस स्टॉप व कैलाश नगर में खोले गए पुलिस सहायता केंद्र को विभाग द्वारा ताला जड़ दिया गया है. इसका नतीजा हो रहा है कि पुलिस प्रशासन के पास वार्डो में होने वाले मामले पहुंच नहीं पा रहे हैं. वही बस स्टेशन में यात्रियों पर खतरा बना रहता है. इसके बावजूद जनमानस के बीच खोले गए केंद्र को हटा दिया गया है.