हीरा बा नो मोर | …. जब मोदी को याद आया कि उनकी मां ने ‘गरीब कल्याण’ पर दिया था जोर
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साधारण परिवार से निकलकर भारत के प्रधानमंत्री बनने के साथ अपने जीवन को आकार देने में अपनी मां हीराबेन के प्रभाव को बार-बार रेखांकित किया है। हीराबेन का शुक्रवार को नागपुर के अस्पताल में निधन हो गया। इस साल 18 जून को जब उन्होंने अपने जीवन के 100वें साल में प्रवेश किया तब मोदी ने उन पर एक ब्लॉग लिखा। इसमें उन्होंने पहली बार सार्वजनिक तौर पर अपनी मां के बारे में विस्तार से लिखा था। ब्लॉग में मोदी ने उनके बलिदान और उनके जीवन के अलग-अलग फ्रेम पर प्रकाश डाला, जिन्होंने उनके (मोदी के) आत्म-विश्वास, मन एवं व्यक्तित्व को ”आकार” दिया।
मोदी ने कहा कि उनकी मां ने उन्हें जीवन का एक सब कुछ सिखाया है कि अधिकृत रूप से तैयार किए बिना भी सीखना संभव है। मोदी ने ब्लॉग में लिखा, ”मेरी मां जितनी सामान्य हैं, उतनी ही असाधारण भी। ठीक वैसे ही, जैसे हर मां होती है।” उन्होंने कहा कि उनकी मां ने हमेशा उन्हें दृढ संकल्प और ”गरीब कल्याण” पर ध्यान देने के लिए प्रेरित किया। ज्ञात हो कि केंद्र सरकार की कई कल्याणकारी योजनाओं के मूल में ”गरीब कल्याण” की भावना निहित है।
गुजरात का बनने के बाद मोदी जब अपनी मां से मिलने गए थे तो उन्होंने कहा, “मैं सरकार में आकर्षण काम नहीं समझती, लेकिन मैं बिल्कुल सिर्फ इतना चाहता हूं कि कभी रिश्वत मत लेना।” उनकी मां उन्हें हमेशा करती रहती हैं कि उन्हें कभी भी उनकी चिंता नहीं करनी चाहिए और अपने बड़े अवयवों का ध्यान रखना चाहिए। मोदी जब भी फोन पर उनसे बात करते थे, तो उनकी मां बोलती हैं, “कभी कुछ गलत मत करना या किसी के साथ बुरा मत करना और घबराहट के लिए काम करते रहो।”
मोदी ने कहा कि एक बार वह अपनी मां सहित अपने सभी शिक्षकों को सार्वजनिक रूप से सम्मानित करना चाहते थे। हालांकि, उनकी मां ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वह एक सामान्य व्यक्ति हैं। मोदी ने अपनी मां की बातों को याद करते हुए लिखा, ”उन्होंने कहा कि भले ही ईश्वर ने जन्म दिया हो, लेकिन भगवान ने उपदेश दिया और बड़ा किया है।”
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उन्होंने कहा कि उनकी मां किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुईं, लेकिन उन्होंने सुनिश्चित किया कि वह अपने स्थानीय शिक्षक जेठा भाई जोशी के परिवार से किसी को आमंत्रित करें, जिन्होंने उन्हें अक्षर ज्ञान दिया था। मोदी ने कहा, ”उनकी विचार प्रक्रिया और दूर जाने सोच ने मुझे हमेशा आश्चर्यचकित किया।” अपनी मां को ‘लचीलेपन का प्रतीक’ सदस्य मोदी ने याद किया था कि कैसे छोटी में अपनी मां को खोने के बाद उनकी मां का बचपन में चेहरा हुआ। उन्होंने कहा था, ”मेरी नानी का चेहरा या उनकी गोद तक याद नहीं है। उन्होंने अपना पूरा बचपन अपनी मां के बिना अपनाया।”
मोदी ने वडनगर में मिट्टी की दीवारों और खपरैल छत से अपने छोटे से घर को याद किया, जहां वे अपने माता-पिता और भाई के साथ रहते थे। उन्होंने हर रोज आने वालों को मुश्किलों का जिक्र किया, सच में उनकी मां ने सामना किया और उन पर जीत हासिल की। उन्होंने बताया कि कैसे उनकी मां न सिर्फ घर के सभी काम करती थीं बल्कि कम घरेलू आय की चाहत के लिए भी काम करती थीं। वह कुछ घरों में मांजा करती थीं और घरेलू खर्च में सहायता के उद्देश्य से चरखा चलाने के लिए समय निकालती थीं।
मोदी ने याद करते हुए कहा, ‘बारिश के दौरान हमारी छत से पानी टपकता था और घर में पानी भर जाता था। मां बारिश के पानी को सागर करने के लिए बाल्टियां और धब्बे थे। ऐसी विपरीत स्थिति में भी मां वैसी ही प्रतिप्रति थीं।” प्रधानमंत्री ने लिखा था कि स्वच्छता के प्रति उनकी मां खास सतर्क रहती थीं। उन्होंने कहा था कि उनकी मां साफ-सफाई में लगे लोगों के प्रति गहरा रिश्ता थीं और जब भी कोई उनके घर से नाली की सफाई करता था तो वह उसे चाय पिलाए बिना नहीं जाने देते थे।
अपनी मां को ”मातृशक्ति की प्रतीक” होते हुए मोदी ने लिखा, ”मेरी मां के जीवन की कहानी में, मैं भारत की मातृशक्ति की तपस्या, बलिदान और योगदान देखता हूं। जब भी मैं मां और उनकी जैसी करोड़ों महिलाएं देखती हूं तो मुझे लगता है कि भारतीय महिलाओं के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।” उन्होंने अपनी मां के जीवन की कहानी के कुछ शब्दों में इस तरह वर्णन किया था, ”भावों की हर कहानी से परे, एक मां की गौरवशाली गाथा है, हर संघर्ष से कहीं ऊपर, एक मां का दृढ़ संकल्प है।” (एजेंसी)
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