छत्तीसगढ़:सल्फी जीते गोंडी-हल्बी में नंबर नहीं हैं लोकगीत, कम्युनिटी रेडियो में बदली आदिवासियों की जिंदगी – कम्युनिटी रेडियो ने दंतेवाड़ा में बदल दी आदिवासियों की जिंदगी
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सामुदायिक रेडियो स्टेशन
– फोटो : बातचीत समाचार एजेंसी
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ठंड के मौसम में इमली के पेड़ के नीचे गुनगुनी, सुहानी और मखमली धूप में सैलफी अपनी बोली-भाषा में लोकगीतों को रेडियो पर अर्जित हिड़मा की जिंदगी का सुखद हिस्सा है। हिड़मा के लिए इससे बेहतर और क्या हो सकता है। जिदंगी के सुख-दुख, दुह-छांव और रोजी-रोटी के बीच रेडियो स्टेशन पर गोंडी और हल्बी में समाचार प्राप्त हिड़मा के जीवन के अनिवार्य अंग हैं। अब समाचार समाप्त हो रहे हैं। अभी मौसम का हाल जानें…. अभी, बरसात नहीं है इसलिए हिड़मा रेडियो के इस बुलेटिन को नंबर नहीं दे रहे हैं। फिर बाजार के लिए निकल पढ़े हुए हैं। अब रेडियो उनके झोले में घुस गया है। हाट बाजार में खरीदारी होने के बाद जब गांव वाले दोस्तों के साथ लांदा (एक तरह के जहरीले पदार्थ) पिएंगे तो फिर रेडियो ऑन होगा। जी हां, ये खबर सुनकर आप भी Radio की दुनिया में छा गए होंगे। बहरहाल, हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के दांतेवाड़ा जिले के धनीकर के रहने वाले हिड़मा की।
भूले बिसरे गीत पहले से ही रौनक
हिड़मा अपनी बहन और मुस्कान के साथ हौले से अपने रेडियो पर फ्रीक्वेंसी सेट करती हैं। उरद्र से गोंडी में आवाज आती है। 90.4 फ्रीक्वेंसी कम्युनिटी रेडियो स्टेशन पर है। आप इसमें गोंडी लोकगीत सुन सकते हैं। इसके बाद ही सुमधुर गोंडी गाने का चिल हो जाता है। कम्युनिटी रेडियो ने दंगेवाड़ा के जनजातीय बाहुल दसियों में मनोरंजन की दुनिया की निगरानी की है। जिन्हें घूमना अच्छा लगता है तो रेडियो हमेशा उनके साथ होता है। अब तो पॉकेट रेडियो बाज़ार में आसानी से मिल जाता है। जहां भी रैंग फिर रहे हों, रेडियो दिया। बहुत से गोंडी गीत भी वोग में हैं, लेकिन लोग उन गोंडी और हल्बी गीतों को भी सुन रहे हैं जो बिसरे हो चुके हैं। आपके बचपन के दौर में इन्हें सुना होगा और अब सुन रहे हैं। इसके साथ ही रेडियो यह भी बता रहा है कि विकास के मामले में दंतेवाड़ा ने कितना आगे निकल गया है। नए बच्चे ज़ोहोकर रहे हैं
स्थानीय प्रतिभा को मौका
दागेवाड़ा जिले में सरकार की अवसरवादी योजना कम्युनिटी रेडियो कम्युनिटी को और यहां की स्थानीय प्रतिभा को नई आवाज दे रही है। समुदाय के लिए समुदाय द्वारा संचालित रेडियो स्टेशनों की स्थापना की गई है। डेंगावाड़ा जिले में शासन की विभिन्न योजनाओं के तहत क्षेत्र के विकास कार्य किए जा रहे हैं। इससे लोगों के जीवन में विवरण सुधार आया है। दांतेवाड़ा जिला जो आदिवासी बाहुल क्षेत्र है। इस क्षेत्र की दृष्टि स्थान संस्कृति लोक नृत्य लोक गीत के संरक्षण एवं रूपों और प्रशासन की सभी योजनाओं को हितग्राहियों तक प्रसारित करने के लिए कम्युनिटी रेडियो की स्थापना की जा रही है, जिसमें जिले की स्थानीय भाषा में जिले की सभी योजनाएं समाचार हल्बी, गोंडी भाषा लोकगीत एवं मौसम से संबंधित सभी विषयों का प्रसारण किया जाएगा। इसके लिए भारत सरकार की सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से 90.4 की फ्रीक्वेंसी प्राप्त हुई है। सभी ग़ैरक़ानूनी योजनाओं की रिकॉर्डिंग हो चुकी है और प्रसारण शुरू हो गया है। नए साल 2023 से तीन बजे सुबह के समय, स्कूल पेटीबाड़ी के पते के समय और सायंकालीन 6 से 8 में रेडियो का प्रसारण किया जाएगा।
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