छत्तीसगढ़ स्पेशलसरगुजा जिला

हाथियों का आतंक : हाथियों के बदलते व्यवहार ने वन विभाग की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं, हाथियों की निगरानी करना वन विभाग के लिए कठिन हो रहा है

 छत्तीसगढ़ के कई जिलों में हाथियों के दल ने डेरा डाल रखा है। इनमें सरगुजा संभाग के अंतर्गत आने वाले जिले जैसे सरगुजा, कोरिया, बलरामपुर, सूरजपुर, जशपुर तो शामिल हैं ही, इनके अलावा गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, कोरबा, महासमुंद, गरियाबंद, बालोद, कांकेर और धमतरी में भी हाथियों का आतंक है।

इधर वन विभाग हाथियों को खदेड़ने में नाकाम साबित हो रहा है।  सरगुजा  में हाथियों का व्यवहार बहुत बदल गया है, जिसके कारण विभाग को रणनीति बनाने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि पहले हाथियों के अलग-अलग दल हुआ करते थे और कोई भी हाथी दूसरे दल में शामिल नहीं होता था, लेकिन अब हाथी न सिर्फ दूसरे हाथियों के दल में शामिल हो रहे हैं, बल्कि दलों की संख्या में भी परिवर्तन कर रहे हैं।

CCF अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि सरगुजा संभाग में हाथियों के मूवमेंट में भी बदलाव देखा जा रहा है। हाथी अब नए-नए इलाकों की तलाश कर रहे हैं। इनके रास्तों और ठिकानों में बदलाव ने मुश्किल बढ़ा दी है। वन विभाग के लिए हाथियों की निगरानी करना कठिन हो गया है।

हालांकि वन विभाग का कहना है कि बाहर से हाथी विशेषज्ञों के प्रशिक्षण के साथ ही अलग-अलग मंडलों में हाथी मित्र दलों को तैनात किया गया है। इसके अलावा कुछ स्थानीय ग्रामीणों को भी ट्रेनिंग दी गई है, ताकि हाथियों के मूवमेंट की निगरानी के साथ ही उन्हें रिहायशी इलाकों में आने से रोका जा सके। सरगुजा संभाग में हाथियों की संख्या 100 से ज्यादा है, जिनमें से ज्यादा हाथी तो संरक्षित इलाके यानी गुरु घासीदास और तमोर-पिंगला अभयारण्य में रह रहे हैं, लेकिन हाथियों के कुछ दल लगातार अलग-अलग वन मंडलों और रिहायशी इलाकों में उत्पात मचा रहे हैं।

हाथियों का दल अलग-अलग वन परिक्षेत्र जैसे मरवाही रेंज, कोरबा के पसान रेंज, मैनपाट में जमकर उत्पात मचा रहा है। जंगल से लगे इलाकों में हाथियों ने इंसानों की जान तो ली ही है, साथ ही सैकड़ों एकड़ फसल को भी बर्बाद कर डाला है। कई जिलों में हाथी ग्रामीणों के घरों को भी तोड़ रहे हैं, साथ ही वहां रखे अनाज को भी चट कर जा रहे हैं, जिसके कारण लोग परेशान हैं। इधर वन विभाग हाथियों के बदलते व्यवहार पर अध्ययन कर रहा है, ताकि उन्हें रोकने के लिए बेहतर रणनीति बनाई जा सके। फिलहाल वन विभाग ने ग्रामीणों को जंगल में नहीं जाने, हाथियों से दूर रहने और रात में घर से बाहर नहीं निकलने की हिदायत दी है।

वन विभाग की टीम और हाथी मित्र दल मशाल जलाकर और व्हिसल के माध्यम से हाथियों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। वन विभाग की कोशिश यही है कि तमाम उपायों के जरिए हाथियों को इंसानों से दूर रखा जाए, ताकि जनहानि के आंकड़े कम हो सके। सरगुजा संभाग लगातार हाथियों की आमद से प्रभावित रहा है। यहां सालों पहले से हाथी की आवाजाही बनी हुई है, लेकिन अब संभाग में हाथी स्थायी निवासी के रूप में रहने लगे हैं।

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