धर्मांतरण को संरक्षण देने वाली कांग्रेस की सरकार : जितेंद्र वर्मा अध्यक्ष
दुर्ग। छत्तीसगढ़ में तेजी से बढ़ रहे धर्मांतरण को संरक्षण देने वाली कांग्रेस सरकार राज्य की जमीनों को खैरात में बांट रही है। ईसाई और मुस्लिम संस्थाओं के बीच सरकारी जमीन की बंदरबांट की जा रही है। इस स्थिति का संकेत है कि प्रदेश की खाली जमीनों पर आने वाले समय में आधे पर वक्फ बोर्ड का कब्जा होगा और आधी जमीन पर मिशनरियों का। पूरे प्रदेश में सुनियोजित तरीके से यह गोरखधंधा चल रहा है। राजधानी से लेकर न्यायधानी तक और जशपुर से लेकर बस्तर तक हर जगह जमीन पर इन संस्थाओं की गिद्धदृष्टि है और कांग्रेस सरकार, सरकारी जमीन को अपनी जागीर समझकर बांट रही है। आम हिंदुओं के सार्वजनिक हक में कुछ भी नहीं होने वाला है।
दुर्ग में सामने आया वक्फ बोर्ड का मामला वर्ष 2020-21 में दाखिल हुआ इसके बाद वक्फ बोर्ड लगातार प्रकरण में अनुपस्थित रहा इसके बावजूद लंबे समय तक प्रकरण किस आधार पर चलता रहा यह प्रशासन ने स्पष्ट नहीं किया। दस्तावेजी साक्ष्य नहीं होने के बावजूद भी राजस्व न्यायालय में प्रकरण का चलना यह दर्शाता है कि प्रशासन की मिलीभगत इस मामले में पूरी तरह से है और प्रशासन को कांग्रेस के नेताओं द्वारा निर्देशित किया जाता है। दावा आपत्ति के लिए निश्चित पेशी तिथि पर 2:30 बजे तक सक्षम अधिकारी अपने न्यायालय में दावा आपत्ति स्वीकार करने के लिए उपस्थित नहीं थे जबकि जनता दावा आपत्ति लगाने के लिए उनके दरवाजे पर खड़ी थी। प्रशासन का रवैया पूरी तरह से वक्फ बोर्ड को समर्थन करने वाला दिखाई दिया।
एक ओर राज्य वक्फ बोर्ड प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह दावा करता है कि किसी निजी जमीन पर दावा नहीं किया गया है तो तहसीलदार न्यायालय द्वारा किस आधार पर पेपर प्रकाशन द्वारा इश्तिहार छपवा कर दावा आपत्ति मंगाया गया ? राज्य वक्फ बोर्ड और तहसीलदार न्यायालय दोनों के कार्यों में विरोधाभास स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहा है। इश्तिहार की विषय वस्तु से यह स्पष्ट होता है कि आम नागरिकों की जमीन वक्फ बोर्ड को देने की तैयारी थी।
शहर के महापौर की यह जिम्मेदारी है कि वह नगर निगम की संपत्तियों की सुरक्षा करें परंतु वक्फ बोर्ड के आवेदन पर नगर निगम ने अपनी जमीन और संपत्तियों की सुरक्षा के लिए कोई आपत्ति दर्ज कराना उचित नहीं समझा इससे यह साफ दिखाई देता है कि महापौर और विधायक अरुण वोरा भी इसमें लिप्त है।
पूरी प्रक्रिया में वक्फ बोर्ड, शहर विधायक अरुण वोरा, महापौर धीरज बाकलीवाल तथा प्रशासन ने दुर्ग शहरवासियों के बीच भय का माहौल बनाया है। वक्फ अधिनियम की आड़ में समुदाय विशेष को लाभ पहुंचाने हेतु दिए गए विशेषाधिकार की भारतीय जनता पार्टी कड़े शब्दों में आलोचना करती है।
बस्तर में आदिवासियों की जमीन माफिया के कब्जे में जा रही है। सरगुजा संभाग में आदिवासियों की जमीन ईसाई संस्थाओं के लोग हड़प रहे हैं। उनकी संस्कृति तक पर कब्जे की कोशिश हो रही है। रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग संभाग में इस्लामी संस्थाओं द्वारा लगातार जमीनों पर कब्जा और कब्जे की कोशिश हो रही है।
रायपुर में दावते इस्लामी को जमीन देने के लिए मंत्री मोहम्मद अकबर ने सिफारिश लिखी थी। दावते इस्लामी संस्था मूलतः पाकिस्तान की है और उसके तार आतंकी संगठनों से जुड़े हैं। ऐसी संस्था को छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने 25 एकड़ जमीन देने प्रक्रिया शुरू कर दी।
चंदखुरी में कांग्रेसी विधायक यूडी मिंज की अनुशंसा से 5 एकड़ जमीन ईसाई कब्रिस्तान के लिए आवंटित हुई है जबकि क्षेत्र में ईसाई समुदाय रहता ही नहीं है। छत्तीसगढ़ में वक्फ बोर्ड, लोगों की जमीनों पर अपने अधिकार का कारोबार कर रहा है। सरकार इसमें सहयोग कर रही है। छत्तीसगढ़ में पीढ़ियों से रह रहे लोगों की जमीनों पर वक्फ बोर्ड अपना हक बता रहा है। बिलासपुर और दुर्ग के अखबारों में तहसीलदार के माध्यम से दैनिक अखबार में आम इश्तहार जारी करवाया गया है। जिसमें जमीन के अधिकार को लेकर लोगों से आपत्ति पर उपस्थित होने की बात कही गयी है। छत्तीसगढ़ के इन दोनों शहरों में बवाल मचा हुआ है। यह सब कब्जेदारी कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के इशारे पर हो रही है।
भिलाई नगर निगम मुख्यालय के निकट मदर टेरेसा जोन कार्यालय से ठीक लगे हुए इलाके में कई कई मजार बनाकर खुलेआम राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे कब्जा किया जा रहा है। नगर निगम भिलाई को कोई अधिकृत जानकारी नहीं है और ना ही कोई आईडी जारी किया गया है जैसा कि आमतौर पर अवैध कब्जा धारकों के लिए संपत्ति कर की आईडी जारी की जाती है। बिना पट्टे और बिना आईडी के यह बाहरी लोग रोहिंग्या मुसलमान हैं या कौन हैं ?
कुछ दिनों पहले सुकमा के पुलिस अधीक्षक ने बकायदा पत्र जारी करके अपने मातहतों को लिखा था कि धर्मांतरण पर निगाह रखने की आवश्यकता है। अन्यथा भविष्य में आदिवासी और परिवर्तित आदिवासियों के बीच वर्ग संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। बस्तर आईजी ने भी इस पर चिंता जताई थी और गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने तो बकायदा अपने समाज को धर्मांतरण से बचने की सलाह दी थी।
कवर्धा में पर्व के समय हिंदू धर्म का ध्वज फेंक दिया जाता है और इसका विरोध करने वालों को ही पुलिस पीटती है और जेल में डाल देती है। कवर्धा विधायक और कांग्रेस सरकार के मंत्री मोहम्मद अकबर लोगों को डराने के लिए 300 गाड़ियों के काफिले के साथ कवर्धा पहुंचते हैं। हिंदू समाज को दबाने और डराने का प्रयास मंत्री मोहम्मद अकबर द्वारा कवर्धा और दुर्ग में किया जा रहा है। अम्बिकापुर में महामाया पहाड़ की जांच अभी पूरी नहीं हुई और प्रदेश में बड़ी संख्या में मुसलमानों के नाम मतदाता सूची में जोड़ने का प्रयास हो रहा है।
प्रधानमंत्री रहते हुए देश के मुद्दों पर मौन रहने वाले मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। सालों साल से मौलवियों को वजीफा या तनखा दी जाती है, यह कांग्रेस शासनकाल में ही हुआ था। कांग्रेस की ही सरकार ने काला कानून बनाकर वक्फ को मजबूत करने व सनातनी हिंदुओं को कमजोर करने का षड्यंत्र किया था। घरों व दुकानों में काबिज लोगों की जमीन पर वक्फ का कब्जा कराने का षड्यंत्र बेनकाब हो गया है। कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति में राजधर्म की हत्या कर रही है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री धर्मांतरण को संरक्षण देकर कांग्रेस की सुपर बॉस सोनिया की खुशामद कर रहे हैं।