अस्पताल पहुँचने में होती थी परेशानी , एरूनटोला के ग्रामीणों ने पहाड़ो के बीच बनाया रास्ता

कवर्धा: पहाड़ों का सीना चीरकर भी बन जाती हैं राहें। इरादे मजबूत हों, तो हर मंजिल आसान हो जाती है। पंडरिया ब्लॉक के दूरस्थ बैगा बाहुल गांव बांगर और एरूनटोला के ग्रामीणों ने अस्पताल पहुंचने के लिए कम समय में पहाड़ो के चट्टानों को हटाकर रास्ता बनाया। दरअसल, बांगर से सेंदूरखार उपस्वास्थ्य केंद्र सिर्फ 4 किमी दूर है। लेकिन दोनों के बीच एक पहाड़ है। इस पहाड़ के कारण बांगर और एरूनटोला के ग्रामीणों को इलाज के लिए सेंदूरखार अस्पताल जाने करीब 43 किमी सफर तय करना पड़ता है। बांगर से करीब 15 किमी दूर नेउर पहुंचते हैं।
हालांकि, यहां भी अस्पताल है लेकिन दूरी फिर भी ज्यादा है। नेउर से फिर करीब 8 किमी दूर कुई और पुटपुटा होते हुए करीब 20 किमी अतिरिक्त सफर तय कर सेंदूरखार उपस्वास्थ्य केंद्र पहुंचते हैं। जबकि पहाड़ पर 4 किमी रास्ता बन जाने से अब सेंदूरखार अस्पताल की दूरी 39 किमी तक कम हो गई है। वहीं अब राशन के लिए सेंदूरखार आसानी से पहुंचा जा सकता है।
बांगर और एरूनटोला के 30 से ज्यादा ग्रामीणों ने रास्ता बनाने में श्रमदान किया। प्रेरक कृष्णा परस्ते बताते हैं कि पहाड़ पर रास्ता बनाना आसान नहीं था। रास्ते पर कई बड़े चट्टान आए, जिसे ग्रामीणों ने अपनी श्रमशक्ति से एकजुट होकर हटाया। पहाड़ पर रास्ता बनाने में करीब 15 दिन का समय लगा है। हालांकि, अभी भी सफाई का काम चल रहा है। जल्द यह भी पूरा हो जाएगा।



