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भाव भक्ति से गौरा गौरी पूजन सांस्कृतिक परम्परा से हुई विदाई

कवर्धा,बोड़ला । गौरा गौरी पूजन हमारी सांस्कृतिक धरोहर की महानतम प्रतीक है। भगवान भोलेनाथ हम सबके आराध्य हैं और ये पूजा हम सबको मिट्टी से जोड़ता है। उक्त बातें गौरा-गौरी कार्यक्रम में पूरे गांव के लोग धूमधाम से बाजे गाजे फटाके के साथ कई भक्तों को भोलेनाथ और देवी की भक्ति में नाचते झूमते निकली ।

ग्रामीण जन गौरा गौरी का पूजन कर प्रदेशवासियों के लिए भगवान भोलेनाथ से आशीर्वाद मांगी। ज्ञात हो  छत्तीसगढ़ में गौरा गौरी की पूजा पारंपरिक रूप से मनाया गया। श्रद्घालु गौरा को शिव के रूप में और गौरी को पार्वती को रूप में पूजा करते हैं। दीपावली से पहले धनतेरस एवं नरक चतुर्दशी में गौरा-गौरी को जगाया जाता है तत्पश्चात दीपावली की रात से इनके मिलन एवं विवाह का आयोजन किया जाता है।  दूसरे दिन गौरा गौरी की झांकी पूजा स्थल से शहर भ्रमण करते हुए जगह जगह पर पूजा अर्चना की और गांव के प्रमुख तालाब में श्रद्धा भक्ति से विषर्जन किया।

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