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NTPC के खिलाफ ग्रामीणों ने किया विरोध, SDM दफ्तर का किया घेराव समस्या दूर न होने पर दिया उग्र आन्दोलन का आश्वासन

बिलासपुर. जिले में NTPC प्रबंधन के मनमाने रवैए और प्रदूषण फैलाने के खिलाफ ग्रामीण अब आंदोलन के मूड में आ गए हैं। ग्रामीणों ने स्तूरी में SDM दफ्तर का घेराव कर जमकर नारेबाजी की। उन्होंने चेतावनी दी है कि उनकी समस्याओं को दूर नहीं किया जाएगा तो अब ग्रामीणों को आंदोलन और चक्काजाम करना पड़ेगा।

राखड़ डेम से परेशान ग्रामीणों ने सड़क पर उतर कर की नारेबाजी।

दरअसल, जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर सीपत स्थित NTPC प्रबंधन बिजली उत्पादन की आड़ में ग्रामीणों को बीमारी बांट रहा है। यहां ग्राम रांक, रलिया के पास तीन राखड़ डैम बनाया गया है, जहां NTPC थर्मल प्लांट से निकल रही राख को एकत्र किया जा रहा है। तीनों डैम भरने की वजह से गर्मी में इसे सूखा कर फ्लाई ऐश सहित दूसरे उपयोग के लिए सप्लाई किया जाता है। इधर, राख के सूखने के बाद हल्की सी हवा के झोंकों और दिन रात चल रहे भारी वाहनों से आसपास के गांव में राख का डस्ट बीमारी बनकर उनके घरों तक पहुंच रहा है।महिलाओं व बच्चों के साथ पहुंचे SDM दफ्तर।

ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं को लेकर आंदोलन करने का ऐलान कर दिया है। गुस्साए ग्रामीणों ने NTPC प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए मस्तूरी स्थित SDM ऑफिस का घेराव कर दिया। उन्होंने तहसीलदार को ज्ञापन सौंपकर राखड़ और प्रदूषण से मुक्ति दिलाने की मांग की। बताया कि गांव में दिन रात राख और डस्ट उनके किचन तक पहुंच रहा है। ऐसे में उन्हें पके हुए भोजन को फेंकना पड़ता है।राखड़ बांध में दूर-दूर तक समंदर जैसी राख ही दिखाई दे रही है।

NTPC प्रबंधन ने खड़े किए हाथ
ग्रामीणों का कहना है कि NTPC की जब स्थापना हुई, तब उनकी समस्याओं को दूर करने का भरोसा दिलाया गया था। उन्हें बताया गया था कि राखड़ बांध से किसी भी ग्रामीण को कोई परेशानी नहीं होगी और इसे प्रदूषण मुक्त रखा जाएगा। NTPC के शुरू होने के पांच साल बाद ही समस्याएं शुरू होने लगीं। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले पांच-सात साल के ग्रामीण राखड़ और इसके डस्ट से परेशान हैं। बच्चों को राख से खुजली हो रही है, उनकी आंखों पर भी असर पड़ रहा है। राख उड़ने से सांस, दमा जैसे फेफड़ों की बीमारियां होने लगी हैं।शिकायत के बाद भी NTPC प्रबंधन ने हाथ खड़े कर दिए हैं।

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