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एक युवती के दिल में घुस गया कीमोथेरेपी का डिवाइस, मुश्किल से बची जान

रायपुर:  कैंसर की कीेमोथेरेपी के दौरान उसका उपकरण(डिवाइस) दिल के भीतर घुस जाने का  मामला सामने आया है। ऐसा होने पर मरीज की जान जा सकती थी। यहां डॉ. भीमराव आम्बेडकर अस्पताल में एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों की टीम ने आपातकालीन व्यवस्था से उस उपकरण को बाहर निकाल लिया। इससे मरीज की जान बच गई।

 जशपुर निवासी एक 27 वर्षीय युवती को पेट का कैंसर है। रायपुर के ही एक निजी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है। मरीज को कैंसर की दवाई देने के लिए उसे कीमो पोर्ट पर रखा था। कीमो पोर्ट एक पाइप जैसा उपकरण है, जिससे कैंसर की दवाई दी जाती है। पोर्ट को छोटी सर्जरी के जरिए ऊपरी छाती या बांह में त्वचा के नीचे डाला जाता हैै। कीमोथेरेपी की दो साइकिल पूरे हो गए थे। तीसरे साइकिल में जैसे ही दवा इंजेक्ट किया गया तो उस स्थान पर सूजन हो गया।

इसके बाद डॉक्टरों ने चेस्ट का एक्स-रे कराया। पता चला कि वह पोर्ट दिल के अंदर चला गया है। वहां के डॉक्टरों ने उसे तुरंत डॉ. आम्बेडकर अस्पताल भेजा, जहां पर ACI के कार्डियोलॉजी विभाग में आपातकालीन प्रक्रिया के जरिए सफलता पूर्वक उस पोर्ट को बाहर निकाल लिया। मरीज अभी ACI के कार्डियोलॉजी विभाग में भर्ती है।

डॉ. स्मित श्रीवास्तव बताते हैं आपातकालीन स्थिति में दिल में फंसे उस पोर्ट को तुरंत निकालना काफी पेचीदा काम था। अमेरिकी देशों में मवेशियों को फंदे से पकड़ने के लिए एक विशेष रस्सी लासो या लैसो का प्रयोग होता है। रस्सी के फंदे वाले हिस्से को गोल-गोल घुमाकर तेजी से मवेशी की ओर फेंका जाता है। मवेशी का सिर उस फंदे में फंस जाता है। कीमो पोर्ट को निकालने के लिए बहुत हद तक इसी विधि को अपनाया गया।

कीमो पोर्ट एक छोटा चिकित्सा उपकरण है जिसे त्वचा के नीचे प्रत्यारोपित किया जाता है। एक कैथेटर पोर्ट को एक नस से जोड़ता है। इस पोर्ट को छाती अथवा बांह की त्वचा के नीचे एक छोटी सर्जरी के जरिए फिट किया जाता है। इसी के माध्यम से दवाओं को इंजेक्ट किया जा सकता है और रक्त के नमूनों को कई बार लिया जा सकता है। इससे आमतौर पर रोगी को कम असुविधा होती है।

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