CG के सबसे कमाई वाले निगम का खजाना खाली: 5 सालों से बिजली बिल नहीं पटाया,निगम के पास कर्मचारियों को वेतन देने पैसे नहीं है।

छत्तीसगढ़ : सबसे कमाई वाले भिलाई नगर निगम की माली हालत इन दिनों खराब चल रही है। निगम के पास बिजली बिल और कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं है। निगम प्रबंधन की माने तो उनका पूरा खजाना खाली हो गया है। निगम प्रशासन ने राज्य सरकार से मदद मांगी है।
अधिकारियों ने बताया कि नगर निगम भिलाई ने पिछले पांच सालों से बिजली का बिल ही नहीं जमा किया है। वर्तमान में निगम के पास वेतन देने के लिए बजट नहीं है। इसलिए निगम प्रशासन ने कर्मचारियों का वेतन देने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखकर मदद मांगी है। इससे पहले भी निगम ने शासन को बिजली बिल पटाने के लिए पत्र लिखा था। निगम के वित्त शाखा से मिली जानकारी के मुताबिक निगम ने अभी जून का भुगतान किया है। जुलाई और अगस्त का भुगतान होना बाकी है।
भिलाई नगर निगम ऐसा निगम था जो पांच साल पहले तक स्वयं के मद से बिजली बिल जमा कर देता था। अब यहां का बिजली बिल राज्य सरकार भर रही है। समय पर बिजली बिल न भरने से निगम के ऊपर 40 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया हो गया था। इसके बाद निगम राज्य सरकार को पत्र लिखा।इससे पहले भी राज्य शासन निगम का बिल पटा चुकी है।
निगम आयुक्त लोकेश चंद्राकर का कहना है कि उनका भिलाई स्टील प्लांट से टैक्स को लेकर विवाद चला आ रहा है। वह काफी हद तक सुलझ गया है। इसके बाद बीएसपी हर महीने निगम को 10-12 करोड़ रुपए का टैक्स देगा। इसके साथ ही निगम पूरे शहर में यूनी पोल लगा रहा है। इसके विज्ञापन की आय और नियमितीकरण से मिलने वाली राशि से निगम का घाटा पूरा हो जाएगा।
निगम आयुक्त का कहना है कि त्योहारों का सीजन है। इसके चलते टैक्स वसूली में कमी आई है। दिवाली का त्यौहार निपटने के बाद निगम टैक्स वसूली में तेजी लाएगा। शहर में 300 से अधिक ऐसे बड़े बकाएदार हैं जो निगम को सालों से टैक्स नहीं दे रहे हैं। इन पर सख्ती की जाएगी। इनसे निगम को 25-30 करोड़ रुपए की टैक्स की वसूली होगी।
भिलाई नगर निगम के पूर्व महापौर व वैशाली नगर विधायक विद्यारतन भसीन का कहना है कि निगम की माली हालत आमदनी अठन्नी खर्चा रुपइया के चलते खराब हुई है। वर्तमान में निगम बिना योजनाओं के खर्च कर रहा है। निगम केवल बिजली बिल ही नहीं, पानी का बिल भी नहीं पटा पा रहा है। इससे पहले भी राज्य सरकार ने निगम का बिल पटाया है। हमारे समय में निगम खुद अपने बजट से ये सारी चीजें करता था।
पिछले तीन बार के पार्षद पीयुष मिश्रा का कहना है कि जब से कांग्रेस की सरकार आई है भिलाई नगर निगम की माली हालत खराब हो गई है। इससे पहले तक रायपुर के बाद भिलाई एकलौता ऐसा निगम था, जो खुद की आय से कर्मचारियों का वेतन और बिजली बिल भुगतान करता था। इतना ही नहीं निगम अपने मद से छोटे-छोटे विकास के काम भी करा लेता था। वर्तमान में भिलाई निगम दिलाविलया हो गया है। समय पर अधिकारियों और कर्मचारियों का वेतन नहीं मिल पा रहा है। निगम केवल विशेष परिस्थितियों के लिए रखे गए बजट से केवल सफाई ठेकेदार का समय पर भुगतान कर रहा है।
भिलाई के महापौर नीरज पाल का कहना है कि किसे वेतन मिल रहा है किसे नहीं यह देखना शासन का काम है। रही बात स्थापना व्यय की तो भिलाई और कोरबा दो ही ऐसे नगर निगम हैं जो खुद की आय से यह खर्च वहन करते हैं। अगर कोई आरोप लगा रहा है कि भिलाई निगम की माली हालत खराब है तो वो गलत है। बिजली बिल जरूर बकाया है। उसे पहले भी शासन पटाती रही है और अभी भी शासन ने कुछ बिल बटाया है।