छत्तीसगढ़ स्पेशलदुर्ग जिला

पुलिस ने किया सुपेला फाटक बंद, पटरीपार और टाउनशिप के रहवासियो की बढ़ी परेशानी, जिला प्रशासन और रेलवे में आपसी मतभेद आई सामने

दुर्ग । सुपेला रेलवे फाटक को लेकर जिला प्रशासन और रेलवे के अधिकारियों के बीच पहले चिट्ठी लिखने को लेकर आपसी मतभेद आई सामने। अधिकारियों की खिचतान से पटरीपार और टाउनशिप में रहने वालों लोगो की परेशानी बढ़ गई है। जिला प्रशासन ने कहा कि रेलवे ने गेट बंद करने पहले लिखी थी चिट्ठी, अब खुलवाने के लिए भी लिखे रेलवे चिट्ठी। वहीं रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि फोन पर बात हुई है, अब चिट्ठी लिखने की बात कहां से आ गई। लोगों की दिक्कतों का समाधान जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है। मिली जानकारी अनुसार मंगलवार को पुलिस प्रशासन ने सुपेला फाटक के दोनों ओर बैरिकेड्स लगा कर बंद करा दिया।

सुपेला फाटक बंद करने जिला प्रशासन को रेलवे से आई थी चिट्ठी: एसडीएम

एसडीएम मुकेश रावटे ने कहा कि जिला प्रशासन को रेलवे से चिट्ठी आई थी। इसमें सुपेला फाटक को बंद करने के बाद वहां अंडरब्रिज निर्माण करने की बात कही गई थी। इसके अनुसार ट्रैफिक पुलिस ने स्थल निरीक्षण के बाद कार्रवाई की है। स्थल निरीक्षण के दिन ही रेलवे के अफसरों से बात हुई थी। हमने लोगों की परेशानी उनके सामने रखी थी। दोनों के बीच काम को आगे बढ़ाने पर सहमति हुई थी।

 

चर्चा में गेट को फिलहाल बंद नहीं करने पर बनी थी सहमति : सीनियर डीसीएम

सीनियर डीसीएम डॉ. विपिन वैष्णव ने कहा कि 12 अगस्त की रात ही हमारे डीएनई कंस्ट्रक्शन संदीप सिंह की स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों से बात हुई थी। चर्चा में गेट को फिलहाल बंद नहीं करने पर सहमति बनी थी। वैसे भी अभी वन विभाग से पेड़ काटने की अनुमति नहीं मिली है। पहले चिट्ठी लिखी जा चुकी है। फोन पर चर्चा भी हो चुकी है। ऐसे में पुन: चिट्ठी लिखने जैसी कोई बात नहीं है।

 

रेलवे की आई चिट्ठी और प्रशासन से मिले निर्देश पर रेलवे फाटक को किया गया है बंद: पुलिस प्रशासन

मामले में डीएसपी ट्रैफिक गुरजीत सिंह का कहना है कि इस फाटक के बंद होने से सबसे अधिक परेशानी मुझे ही होगी। शहर की यातायात व्यवस्था को बनाए रखना आसान नहीं है। फिर भी रेलवे की आई चिट्ठी और प्रशासन से मिले निर्देश के अनुसार मैने सुपेला रेलवे फाटक को बंद करने की कार्रवाई की। दो हफ्ते टालने की बात यदि प्रशासन व रेलवे के बीच हुई थी तो, इसकी मुझे किसी ने जानकारी नहीं दी।

 

 

 

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