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हड़ताल से लौटे कर्मचारी: एक सप्ताह बाद सभी शासकीय कार्यालय और स्कूल खुले|

सोमवार से जिले के सभी कर्मचारी हड़ताल से लौट आए हैं। सोमवार को जिले के सभी शासकीय कार्यालय व स्कूल खुले रहे। बीते 25 से 31 जुलाई एक हफ्ते से स्कूल व कार्यालय बंद होने से लोगों को परेशानी हुई है। लेकिन आने वाले दिनों में फिर से ये कर्मचारी संगठन हड़ताल पर जाने वाले हैं। कर्मचारी नेता प्रमोद शुक्ला ने बताया कि उनकी मांगों को लेकर राज्य सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है।

यही कारण है कि अब करीब 88 कर्मचारी संगठन एक बार फिर से 22 अगस्त से हड़ताल करेंगे। वहीं दूसरी ओर 22 अगस्त से होने वाले हड़ताल कर्मचारी संगठनों के बीच मतभेद भी खुलकर सामने आ रहा।

22 अगस्त से होने वाली हड़ताल में टीचर्स एसोसिएशन शामिल नहीं रहेगा। एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष रमेश कुमार चन्द्रवंशी ने बताया कि सोमवार से सभी शिक्षक स्कूलों में काम करना शुरू कर दिए हैं। वे हड़ताल से वापस आ गए हैं। लेकिन अभी तक 22 अगस्त को होने वाली हड़ताल को लेकर हमारी कोई रणनीति नहीं है। वहीं फेडरेशन के नेता प्रमोद शुक्ला ने बताया कि हड़ताल के संबंध में टीचर्स एसोसिएशन को भी शामिल होने आग्रह किया गया है। उनकी हड़ताल में 88 संगठन शामिल होंगे। उम्मीद हैं कि टीचर्स एसोसिएशन भी उनके साथ खड़ा होगा।

निष्पक्ष बैनर व समान भूमिका में छग टीचर्स एसोसिएशन, शालेय शिक्षक संघ व नवीन शिक्षक संघ के संयुक्त आह्वान पर केंद्रीय कर्मचारियों के बराबर 34 प्रतिशत मंहगाई भत्ता व सातवें वेतनमान के अनुरूप गृहभाड़ा भत्ता की मांग को लेकर 25 जुलाई से जारी अनिश्चितकालीन हड़ताल को सात दिनों बाद स्थगित कर दी है।

एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष रमेश चन्द्रवंशी ने बताया कि जिले के शिक्षक, कर्मचारी व अधिकारी एक अगस्त को स्कूलों व कार्यालयों में उपस्थित होकर पूर्व की भांति काम शुरू का दिए हैं।

एसोसिएशन के प्रांतीय उपाध्यक्ष विनोद गुप्ता, शालेय शिक्षक संघ के शिवेंद्र चन्द्रवंशी, आसकरण धुर्वे, उग्रसेन चन्द्रवंशी, केशलाल साहू, वकील बेग मिर्जा, बलदाऊ चन्द्राकर, राजेश तिवारी, हेमलता शर्मा, अमित मिश्रा आदि ने कहा कि इस हड़ताल में शामिल किसी भी शिक्षक व कर्मचारी का अहित नहीं होने दिया जाएगा। आने वाले समय में शिक्षक संवर्ग के विभिन्न मांगों के लिए संघर्ष किया जाएगा, जिसके लिए जिले के शिक्षकों को तैयार रहने का आह्वान किया है।

कर्मचारियों ने भत्ते की मांग के लिए हड़ताल की थी, मगर अब सैलरी से ही हाथ धोना पड़ेगा। सरकार की तरफ से जारी किए गए आदेश में एक नियम का जिक्र है। छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम 1965 के तहत एक साथ हड़ताल करना छुट्‌टी लेना ये अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत आता है। ऐसा करने पर न तो छुट्‌टी दी जाएगी न ही हड़ताल के दिनों का कोई वेतन मिलेगा। इन नियमों के अनुसार सामान्य प्रशासन विभाग ने कर्मचारियों पर कार्रवाई करने को कह दिया है।

छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के इस हड़ताल के कारण कई प्रकार की दिक्कत हुई है। एक हफ्ते से कामकाम ठप रहा। इन सब को देखते हुए प्रशासनिक आदेश जारी हुआ है, जिसमें कहा गया कि कर्मचारियों की हड़ताल का रवैया अनुशासनहीनता है, हड़ताल के दिनों का वेतन नहीं मिलेगा। इस आदेश से कर्मचारी संगठन बौखला गए हैं। अब एक बार फिर हड़ताल करने का ऐलान कर दिया है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि ये कर्मचारियों के जले पर नमक छिड़कने की तरह है। महंगाई भत्ता और भाड़ा भत्ता नहीं दिया जा रहा।

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