जहां चाह वहां राह: ग्रामीणों ने श्रमदान से,उबड़-खाबड़ कच्ची सड़क को समतल बनाने में जुटी हूई हैं।
जहां चाह है वहां राह है.. ये कहावत दूरस्थ वनांचल इलाके में बने बाहपानी के ग्रामीण चरितार्थ कर रहे हैं। गांव की महिलाएं और पुरुष हाथ में कुदाल व फावड़ा लेकर श्रमदान से उबड़-खाबड़ कच्ची सड़क को समतल बनाने में जुटी हैं। ताकि उन्हें राशन व अन्य कार्यों के लिए दूसरे गांव में आने-जाने में परेशानी न हों। पंडरिया ब्लॉक मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत कांदावानी के आश्रित गांव बाहपानी की बसाहट है। सौ फीसदी बैगा बाहुल इस गांव में करीब 20-25 परिवार निवासरत हैं।
समस्या यह है कि इस गांव को आसपास अन्य गांवों में आवागमन के लिए कच्ची सड़क है, जो काफी उबड़- खाबड़ है। बरसात के कारण मिट्टी, घास व झाड़ियों से कच्ची सड़क ढंक गई है, जिसे ग्रामीण श्रमदान से सफाई व समतल बनाकर चलने लायक बना रहे हैं। पिछले 3 दिन से गांव के महिला-पुरुष श्रमदान से कच्ची सड़क की सफाई में जुटे हैं।
घास व झाड़ियों से कच्ची सड़क नहीं दिख रही थी: एक से दूसरे गांव आने-जाने के लिए ग्रामीण जिन कच्ची सड़कों का उपयोग करते हैं, वे बारिश के कारण खराब हो गए हैं। पहाड़ से टूटकर कच्ची सड़क पर गिरे पत्थरों और घास व झाड़ियां उगने से कच्ची सड़क दिखाई नहीं दे रही थी।
क्षेत्र के गांवों में घरों की बसाहट सघन न होकर दूर-दूर है। ग्राम बाहपानी से रूख्मीदादर तक करीब 1 किलोमीटर लंबी कच्ची सड़क है, जिसकी सफाई की गई। ग्रामीण धनीराम बैगा, छोटेलाल, राजकुमारी, लक्ष्मण, सोनिया, सुशीला बाई और जेठी बाई का कहना है कि बाहपानी से ढेरपानी, छिरपानी, कान्हाखैरो और महराइन टोला जाने के लिए कच्ची सड़क का उपयोग करते हैं। बारिश के कारण कच्ची सड़क खराब हो गई है। इसकी मरम्मत कराए जाने के लिए जिम्मेदारों ने पहल नहीं की है।