रायपुर: ठगी करने वाले देश के बड़े गिरोह का पर्दाफाश|

पुलिस वालों के दस्तावेजों को ही हासिल कर उसके जरिए ही ठगी करने वाले देश के बड़े गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। इन ठगों के पास वो डेटा पहुंच जाता था, जो पुलिस ने ई-चालान के रूप में लोगों को भेजे हैं। पुलिस तो ई-चालान का नोटिस घर पर भेजती ही है, ये लोग भी मैसेज और क्यू आर कोड भेजते, लड़कियों से फोन करवाते और धमकाते कि अगर पैसे जमा नहीं किए, तो कोर्ट-कचहरी का चक्कर काटना होगा। 500 रुपए के चक्कर में लोग क्यू आर कोड के जरिए पैसे भेज देते। इस तरह के मामले सामने आए हैं।
दिल्ली में रायपुर पुलिस की टीम ने दबिश देकर रैकेट चलाने वाले मास्टर माइंड विमांशु गर्ग समेत 6 को गिरफ्तार किया है। विमांशु गर्ग देश की दो बड़ी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में मैनेजर की नौकरी छोड़कर ऑनलाइन ठगी का रैकेट चला रहा था। ये छत्तीसगढ़, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के लोगों को ई-चालान का मैसेज भेजकर ठगता था।
एसएसपी प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि मूलत: यूपी का विमांशु गर्ग उर्फ गौरव (36 वर्ष) मयूर विहार में रहता है। वह एमबीए करने के बाद एसबीआई, फिर एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में नौकरी करने लगा। इसके बाद उसने घूम ले पोर्टल शुरू किया। फिर उसने सोशल मीडिया प्रमोशन, एप डवलपमेंट का काम शुरू किया। इसी दौरान उसका परिचय ओडिशा की एक कंपनी से हुआ। यहां से उसने ठगी का धंधा शुरू किया।
उसने वेल्यू सर्विसेज और लेट्स कनेक्ट कंपनी शुरू की। इसमें 20-21 साल की चार लड़कियां नेहा शर्मा उर्फ तनिशा, रानी उर्फ कोमल, सत्या उर्फ शमिता हरिजन और जन्नत अंसारी उर्फ काव्या को 10-10 हजार वेतन में नौकरी पर रखा। खातों की व्यवस्था करने के लिए सुमित ठाकुर को रखा गया। लड़कियां फोन करके लोगों को फंसाती थीं। क्यू आर कोड भेजकर पैसा जमा कराया जाता था। आरोपी पैसा आते ही तुरंत निकाल लेते थे।
रायपुर के हितेश साहू से 500 रुपए की ठगी हुई। इसकी शिकायत हुई, तो पुलिस ने पड़ताल शुरू की। जांच करती हुई पुलिस की टीम दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में कुरियर बाॅय बनकर दो दिनों तक घूमती रही। पुख्ता जानकारी मिलने के बाद दो कॉल सेंटर पर छापा मारा। यहां से 4 युवती और 2 युवक को गिरफ्तार किया गया। आरोपियों से 32 सिम वाला डायलर मशीन जब्त किया है, जिसमें एक साथ 32 कॉल किए जाते थे। इसके अलावा 25 कंपयूटर, 35 मोबाइल, 20 सिम कार्ड, 2 लैपटॉप और पेन ड्राइव जब्त किया गया है।
गिरोह ने ई-चालान का सॉफ्टवेयर बनाने और देखने वाली कंपनी से डेटा खरीदा है। आरोपियों के पास पांच राज्यों के लोगों का डेटा है, जिनका ई-चालान हुआ है। उन्हें फिर से ई-चालान का मैसेज कर रहे थे, जो पुलिस पहले ही उन्हें कर चुकी है। जुर्माना जमा नहीं करने पर कोर्ट से सजा होने की धमकी देते थे। लोग भी 500-1000 रुपए देखकर बिना पड़ताल किए जमा कर देते थे। छोटी रकम होने के कारण पुलिस में शिकायत भी नहीं हुई है। आरोपियों के पास 15000 से ज्यादा लोगों का डेटा है।