रायपुर: शिक्षाकर्मियों की विधवाओं को,मिलेगी अनुकंपा नियुक्ति|
अनुकंपा नियुक्ति के लिए कई महीनों से आंदोलन कर रहीं पंचायत शिक्षाकर्मियों की विधवाओं की मांग पर सरकार हरकत में आई है। स्कूल शिक्षा विभाग ने जिलों से ऐसे शिक्षा कर्मियों का ब्यौरा मांगा है जिनकी मृत्यु संविलियन से पहले हो चुकी है। स्कूल शिक्षा विभाग इस ब्योरे के आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग से मार्गदर्शन लेना चाहता है ताकि अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया आगे बढ़े।
लोक शिक्षण संचालनालय से बुधवार को सभी संभागीय संयुक्त संचालकों और जिला शिक्षा अधिकारियों को एक पत्र जारी किया। इसमें कहा गया है, आपके जिले में अनुकंपा नियुक्ति के ऐसे प्रकरण जिसमें कर्मचारी की मृत्यु शिक्षाकर्मी के रूप में स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन से पूर्व हो चुकी है। उनकी सूची संचालनालय को उपलब्ध कराएं ताकि अनुकंपा नियुक्ति के मामले में सामान्य प्रशासन विभाग से मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सके।
इस पत्र के साथ कई महीनों से अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे सैकड़ों परिवारों को राहत की उम्मीद बंधी है। मृत शिक्षाकर्मियों की पत्नियों-बच्चों ने महीनों तक रायपुर में धरना-प्रदर्शन किया है। विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान भी महिलाएं सड़क पर उतरीं। वे विधानसभा का घेराव करने निकली थीं। पुलिस ने उन्हें रोक लिया। उस दौरान उनकी पुलिस से झड़प भी हुई थी।
2018 से पहले छत्तीसगढ़ के स्कूलों में दो तरह के शिक्षक काम कर रहे थे। पहले स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्त नियमित शिक्षक। दूसरे पंचायत और नगरीय निकायों की ओर से नियुक्त शिक्षाकर्मी। शिक्षाकर्मी नियुक्ति नियमित नहीं थी। यह पैरा शिक्षक का पद था। ऐसे में इन्हें राज्यकर्मी नहीं माना जाता। वेतन कम था। शिक्षाकर्मी की मृत्यु के बाद सामान्य सरकारी कर्मचारी की तरह अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान नहीं था। ऐसे में सरकार ऐसे मृतकों के परिजनों को नियुक्ति नहीं दे पा रही थी। 2019-20 में इनको स्कूल शिक्षा विभाग में नियमित कर दिया गया।
सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे का कहना है, प्रदेश में लगभग 900 के आसपास ऐसे मामले हैं। इसमें शिक्षाकर्मियों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकी है। इस पत्र के जारी होने के बाद एक बार फिर उम्मीद जगी है। उन्होंने कहा, सरकार संवेदनशीलता दिखाते हुए पीड़ितों को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करे।
सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे ने कहा, हमारे साथियों के परिजनों के पास घर चलाने के लिए भी पैसे नहीं है तो वह ऐसे में डिग्री कहां से हासिल करेंगे। अगर वह पढ़ाई करेंगे तो फिर उनका परिवार का पेट कौन पालेगा। अनुकंपा नियुक्ति से वंचित लोगों ने खुद कई बार इस बात को दोहराया है कि उन्हें उनकी योग्यता के अनुसार या तो पद दे दिया जाए या फिर पहले उन्हें नौकरी दे दी जाए और उसके बाद उन्हें डिग्री हासिल करने के लिए समय दे दिया जाए।