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जगदलपुर : यूपी से अमेरिका तक के लोग ले चुके 24 बच्चों को गोद

बस्तर जिले में अब उनके पालकाें के द्वारा छोड़े गए और सरेंडर किए गए 24 बच्चों को मां-पिता की कमी नहीं खलेगी। अब इन बच्चों का लालन पालन अमेरिका से लेकर यूपी, एमपी और गुजरात के साथ ही अन्य राज्यों के लोगों द्वारा किया जा रहा है। अब तक किसी भी बच्चे के लालन पालन को लेकर कोई शिकायत महिला बाल विकास विभाग और जिला बाल संरक्षण को नहीं मिली है। आवेदन के माध्यम से जिन बच्चों को गोद दिया गया है उसकी पूरी जानकारी इन दोनों विभाग द्वारा की जा रही है।

जिला बाल सरंक्षण अधिकारी विजय शर्मा ने बताया कि पिछले तीन साल में 24 बच्चों को गोद लेने के लिए देश के अलग-अलग राज्यों के साथ ही विदेशों से ऑनलाइन आवेदन आया था। इन आवेदनों की स्क्रीनिंग और अन्य जांच कर बच्चे उन्हें गोद दिए गए। बता दें कि हाल ही में विधानसभा में ये मुद्दा उठा था जिसके बाद ये आंकड़े सामने आए।

जिले में महिला-पुरुष का अनुपात में लगातार कमी आ रही है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार बस्तर जिले में वर्ष 2015-16 में एक हजार पुरुषों के सापेक्ष महिलाओं की संख्या 1082 थी जो अब कम होकर 1068 रह गई। लोगों का मानना है कि ऐसा बेटों की चाह में बेटियों की कोख में ही मार देने की वजह से हो रहा है। अल्ट्रासाउंड की नई तकनीक ने इस समस्या को और भी बढ़ा दिया है। इसके जरिए माता-पिता बच्चे के लिंग की पहचान कर लेते हैं। फिर अपनी चाहत पूरी करने के लिए एबॉर्शन तक करा लेते हैं।

बच्चों को गोद लेने को लेकर लोगों ने किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया है। सभी ने अपनी मर्जी से बच्चों को गोद लिया था। जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने बताया कि जिन 24 बच्चों को गोद लिया गया उसमें 13 लड़के और 11 लड़कियां थी। बेटियों को गोद लेने की चाहत कहीं पर ज्यादा नहीं देख गई। सबसे बड़ी बात यह है कि यहां के बच्चों को अमेरिका और देश के अलग-अलग राज्यों के लोग गोद ले रहे हैं। इसके चलते आने वाले दिनों में बच्चों को गोद लेने वाले लोगों की कमी नहीं होने की पूरी संभावना है। 24 बच्चों में दो बच्चों को अमेरिका के माल्टा और कनाडा में रहने वाले लोगों ने

शर्मा ने बताया कि गोद लेने के लिए कारा की वेबसाइट पर आवेदन किए जाते हैं। सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी की टीम आती है। उसके बाद वह एडॉप्शन की प्रक्रिया को पूरी कराती है। एडॉप्शन की प्रक्रिया में एक से डेढ़ साल का वक्त लगता है। जिन बच्चों को गोद दिया जाता है उसकी तीन कैटेगरी है। पहला अनाथ, दूसरा परित्यक्त और तीसरा सरेंडर है।

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