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जिले में पहुंचा हाथियों का दल: बुधवार सुबह बोड़ला ब्लॉक में हाथियों का दल घूमते दिखा |

बुधवार सुबह बोड़ला ब्लॉक के ग्राम मुकाम और लरबक्की में हाथी दल घूमते दिखा। दल में 6 हाथी हैं। ये हाथी जंगल में जाकर छिप गए हैं। बरसात में जंगल घने होने के कारण निगरानी कर रहे वन अमले को शाम तक दल के मूवमेंट का पता नहीं चल सका। ऐसी उम्मीद है कि हाथियों का दल धनवाही से चेंद्रादादर होते हुए एमपी के फेन अभयारण्य में जा सकते हैं। वहां से फेन अभयारण्य पास है।

वन विभाग की टीम हाथियों की निगरानी करती रही। अभी कोई नुकसान की सूचना नहीं है। लेकिन हाथियों के बार-बार यहां आने को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। वो यह कि कुनबा बढ़ाने के लिए हाथी नए ठिकाने की तलाश में तो यहां नहीं आ रहे। वन अफसराें को भी इस संभावना से इनकार नहीं है। क्योंकि बीते 9 साल में यह आठवीं बार और बीते 5 महीने में ही चौथी बार ऐसा हुआ है, जब हाथियों का दल यहां पहुंचा है।

पंडरिया व बोड़ला ब्लॉक के सीमावर्ती गांवों में 6 हाथियों का दल घूम रहा है। गभोड़ा में घरों व फसलों को नुकसान पहुंचाने के बाद वन विभाग ने इलाके के 7 गांवों में अलर्ट जारी कर दिया है। डीएफओ चूड़ामणि सिंह ने बताया कि ग्राम सेमसाटा, बांकी, गभोड़ा, दलदली, केसमर्दा, झोलबाहरा और खुर्रीपानी में मुनादी करा लोगों को चौकन्ना रहने समझाइश दी गई है। वहीं वन विभाग ने अलग-अलग निगरानी टीम बनाई है, जो गांवों के आसपास हाथियों पर नजर रख रही है।

सीसीएफ की मानें, तो प्राकृतिक रहवास क्षेत्र में जब आबादी बढ़ने लगती है और परिस्थितियां प्रतिकूल होने लगती हैं, तब झुंड से नर हाथी नए अनुकूल आवास क्षेत्र की तलाश में निकलता है और देखता है कि कहां भोजन, पानी की पर्याप्त व्यवस्था है। इसके बाद वह अपने पूरे झुंड काे यहां लेकर आ जाते हैं।

9 साल पहले मार्च 2013 में एक हाथी सिंगपुर बीट क्रमांक- 505 में आया था, जो करीब डेढ़ महीने तक घूमते रहा। दूसरी बार 2015 में एक हाथी रुखमीदादर की ओर और अचानकमार टाइगर रिजर्व (एटीआर) लौट गया था। तीन बार में 6 हाथियाें का दल गभोड़ा पहुंचा था।

1. हाथियों के आने पर सुरक्षित स्थान पर रहें। रात में यदि घर से निकलना जरूरी हो, तो मशाल जलाकर झुंड में शोर मचाते हुए ही निकलें। इसके साथ ही घरों के बाहर पर्याप्त रोशनी रखें, ताकि हाथी के आने से पहले ही दूर से पता चल जाए। 2. अगर हाथी दिन में गांव में आ जाते हैं, तो उससे पर्याप्त दूरी रखें। हाथी का कान खड़े कर सूंड ऊपर उठाकर आवाज देना इस बात का संकेत है कि वे हमला करने आ रहा है। इसलिए तत्काल सुरक्षित स्थान पर चले जाएं। 3. यदि हाथी से सामना हो जाए तो तुरंत उसके लिए रास्ता छोड़ें। पहाड़ी स्थानों में सामना होने की स्थिति में पहाड़ी की ढलान की ओर दौड़ें ऊपर की ओर नहीं, क्योंकि हाथी ढलान में तेज गति से नहीं उतर सकते। 4. हाथियों के सूंघने की शक्ति प्रबल होती है, इसलिए सामना होने पर हवा की दिशा का ध्यान रखें। सुरक्षित दूरी में रहा जा सकता है।

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