महंगाई की मार: डीजल और खाद के दाम बढ़ने से खेती की लागत भी बढ़ी|
डीजल, खाद और मजदूरी बढ़ने के बाद खेती की लागत आसमान पर पहुंच रही है। इसके बावजूद मजदूरों का टोटा होने से रोपाई के लिए किसान भटक रहे हैं। किसानों के अनुसार डीजल के मूल्य बढ़ने से ₹800 प्रति घंटे में जुताई करने वाले ट्रैक्टर 1200 रुपए ले रहे हैं। वहीं 1 एकड़ खेत की रोपाई की लागत 3500 रुपए से बढ़कर 5000 रुपए हो गई। क्योंकि मजदूर प्रति एकड़ रोपाई के लिए ₹4000 रुपए ले रहे हैं। जबकि उन्हें ट्रैक्टर से लाने ले जाने में किसान को ₹1000 रुपए का अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है।
कृषकोंं ने बताया कि आलम यह है कि हल बैल से जोताई कराने पर भी प्रतिदिन का ₹800 और मशीन से ₹1000 प्रति घंटा पड़ रहा है। उनके अनुसार सावन का महीना आधा बीत चुका है और रोपा- बियासी का समय निकला जा रहा है इसलिए किसान ऊंचे दर में खेती का काम करवाने के लिए मजबूर हैं। इधर मजदूरों के सरदार श्याम रतन निषाद ने कहा कि प्रति व्यक्ति 1 दिन की मजदूरी ₹200 रुपए से कम नहीं है और हम सुबह से शाम तक काम करते हैं इसलिए 10-20 रुपए अधिक ही कमा पाते हैं।
मामले में ज्यादा जानकारी देते हुए भारतीय किसान संघ के जिला संयोजक दिनेश्वर वर्मा, रिकेश साहू, नंदू वर्मा आदि किसानों ने बताया कि सहकारी समितियों में रासायनिक खादों की कम आपूर्ति के कारण ₹268 रुपए का यूरिया और 330 रुपए का सुपर फास्फेट बाजार में ₹450 में मिल रहा है। जबकि 1350 रुपए का डीएपी निजी खाद की दुकानों में 1500 रुपए तक बेचा जा रहा है। जिसके कारण किसानों को खेती में और ज्यादा पैसे लग रहे हैं।