100 घंटे से फंसे राहुल के लिए स्ट्रैचर और ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर जवान टनल के अंदर उतरे

जांजगीर-चांपा जिले में बोरवेल के लिए खोदे गए गड्ढे में फंसे हुए राहुल को 100 घंटे हो चुके हैं। उसको बचाने का प्रयास अभी तक सेना के निर्देश पर NDRF कर रही थी, लेकिन अब जवानों ने कमान अपने हाथ में ले ली है। NDRF को वहां से हटाकर अब सेना के जवान टनल में उतरे हैं। उनके साथ फोल्डेबल स्ट्रैचर, ऑक्सीजन सिलेंडर समेत कुछ और आपातकालीन उपकरण हैं। ऐसा माना जा रहा है कि जल्दी ही राहुल बाहर आ सकता है। राहुल की मां और उसके परिजनों को भी एंबुलेंस की तरफ ले जाया गया है।
सेना की ओर से बताया गया है कि NDRF जवानों को आराम देने के लिए जवानों ने कमान संभाली है। यह एक ज्वाइंट ऑपरेशन है और इसमें ऐसा ही किया जाता है। उन्होंने बताया कि अभी भी राहुल को बचाने में 3 से 4 घंटे या उससे ज्यादा लग सकते हैं। सवाल यहां बच्चे की जिंदगी का है, ऐसे में चट्टान तोड़ने के लिए सख्त रुख नहीं अपना सकते।
दूसरी ओर राहुल की हालत अब बिगड़ रही है। उसके मूवमेंट का एक नया वीडियो अभी सामने आया है। इसमें राहुल सिर उठाता हुआ और रिस्पॉन्स देता दिखाई दे रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ओर से भी ट्वीट कर कहा गया है कि सबकी दुआएं मासूम राहुल के साथ हैं। अभी इशारों में राहुल ने कुछ खाने की मांग की है। रेस्क्यू अभियान जारी है। चट्टानों से भी मज़बूत इस मासूम बालक के साहस को सलाम है|
वहीं कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि वह एक बहुत बड़ी सी चट्टान है। उसी पर राहुल बैठा हुआ है। हम उसी चट्टान को साइड से काटने का प्रयास कर रहे हैं। वह चट्टान बहुत मजबूत है। राहुल को खाने को दे रहे हैं, लेकिन वह ले नहीं रहा। कल की तरह एक्टिव नहीं है। इसलिए प्रयास है कि साइड से कहीं जगह बनाकर उसके लिए खाने-पीने का इंतजाम पहले कर सकें।
बताया गया कि राहुल और जवानों के बीच में बड़े पत्थर हैं। ऐसे में राहुल से दूरी महज 8 इंच है, उसे साइड से निकालने के चलते दूरी डेढ़ फीट बढ़ गई है। टनल के अंदर लाइम स्टोन होने के कारण समय लग रहा था। उसे तोड़कर आगे बढ़े तो फिर एक चट्टान ने रास्ता रोक लिया है।
इस दौरान राहुल तक पहुंचने के लिए टनल बनाने के काम में लगे NDRF के कमांड इन चीफ वर्धमान मिश्रा चोटिल हो गए हैं। डॉक्टर ने मौके पर उनका उपचार किया और वे फिर से काम में लग गए हैं। वर्धमान मिश्रा के ऊपर ही ऑपरेशन की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि काम किसी हालत में रुकना नहीं चाहिए।
वहीं दूसरी ओर राहुल के नजदीक अब NDRF की टीम पहुंचती जा रही है। महज 2 से ढाई फीट की दूरी रह गई है। उसे बाहर निकालने के लिए खुदाई का एंगल थोड़ा बदला गया है। जिससे उसे चोट न लगे। बल्ली ले जाकर एक स्ट्रक्चर खड़ा किया जा रहा है। इसके साथ ही वाइब्रेटर से राहुल के नीचे के पत्थर को चिकना बनाया जा रहा है। जिससे उसको बाहर निकालने के दौरान चोट न लगे।
राहुल की सही लोकेशन ट्रेस करने के लिए VLC ( विक्टिम लोकेशन कैमरा) का इस्तेमाल किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इसके लिए दीवार में एक बड़ा सा छेद किया गया है। इसी के सहारे कैमरे को अंदर डाला गया। इस विशेष कैमरे से दीवार या चट्टानों के उस पार से आने वाली आवाजों को आसानी से सुना जा सकता है। कैमरे से आवाज सुनकर रेस्क्यू को आसान बनाया जाएगा। जवान इस VLC कैमरे की जांच कर आवश्यक तैयारी कर रहे हैं।
इससे पहले जवानों ने वायब्रेटर का इस्तेमाल किया था। वहीं राहुल की हालत फिलहाल ठीक नहीं है। उसे सुबह फ्रूटी पीने के लिए दी गई, पर उसने नहीं लिया। हालांकि प्रशासन का कहना है कि राहुल की हालत डल जरूर है, पर ठीक है। हम उसकी आवाज सुन पा रहे हैं। इस बीच कलेक्टर भी टनल देखने के लिए मौके पर पहुंचे। वहां से मलबा हटाने का काम किया जा रहा है|

राहुल की जान को फिलहाल खतरा नहीं
सोमवार की देर रात कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला ने बताया था कि राहुल शाम से बेहतर हालत में है। उसकी सांसें भी ठीक चल रही हैं। बच्चे की जान को खतरा नहीं है। अब हम कह सकते हैं कि अंतिम पड़ाव में पहुंच चुके हैं। अगर कोई बड़ी चट्टान नहीं आई और अंदर ठीक रहा तो एक घंटे में बच्चे को निकाल लेंगे। हालांकि, मंगलवार सुबह से उसकी सेहत को लेकर कोई अपडेट नहीं है।

राहुल को निकालकर अस्पताल तक ले जाने की पूरी तैयारी हो गई है। राहुल को बाहर लाते ही एंबुलेंस से बिलासपुर लेकर जाएंगे। जहां अपोलो अस्पताल में उसे भर्ती किया जाएगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर राहुल को रेस्क्यू के बाद ग्रीन कॉरिडोर बनाकर ले जाने का काम पूरा हो गया है। अब बस उसके बाहर आने का इंतजार है। इसे लेकर मेडिकल टीम को अलर्ट कर दिया गया है।

दूसरी ओर राहुल की सलामती को लेकर पूरा प्रदेश प्रार्थना और दुआएं कर रहा है। प्रदेश में जगह-जगह राहुल के लिए पूजा और हवन किए जा रहे हैं। पुलिस और प्रशासन जहां एक ओर बच्चे को रेस्क्यू करने के प्रयास में चार दिन से जुटे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर कोरबा पुलिस की ओर से सर्वमंगला मंदिर में राहुल की सकुशल वापसी के लिए अखंड महामृत्युंजय पाठ का आयोजन किया गया है।

राहुल साहू (10) का शुक्रवार दोपहर 2 बजे के बाद से कुछ पता नहीं चला। जब घर के ही कुछ लोग बाड़ी की तरफ गए तो राहुल के रोने की आवाज आ रही थी। गड्ढे के पास जाकर देखने पर पता चला कि आवाज अंदर से आ रही है। बोरवेल का गड्ढा 80 फीट गहरा है।
ये भी बताया गया है कि बच्चा मूक-बधिर है, मानसिक रूप से काफी कमजोर है, जिसके कारण वह स्कूल भी नहीं जाता था। घर पर ही रहता था। पूरे गांव के लोग भी 2 दिन से उसी जगह पर टिके हुए हैं, जहां पर बच्चा गिरा है। राहुल अपने मां-बाप का बड़ा बेटा है। उसका छोटा भाई 2 साल छोटा है। पिता की गांव में बर्तन की दुकान है।