कवर्धा : जल रहा जून:शहर की तुलना में 20 तक ज्यादा तप रही चिल्फी घाटी;14 जिले में हीटवेव को लेकर 24 घंटे के लिए येलो अलर्ट जारी

कवर्धा| मौसम विभाग रायपुर ने कबीरधाम समेत 14 जिलों में अगले 24 घंटे के लिए ग्रीष्म लहर (हीट वेव) को लेकर येलो अलर्ट जारी किया है। इसी बीच जिले में गुरुवार को अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है। खास बात यह है कि जिले का हिल स्टेशन कहे जाने वाले चिल्फी घाटी में ही तापमान 45 डिग्री सेल्सियस रहा, जो कि मैदानी क्षेत्र कवर्धा की तुलना में 2 डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा है।
मौसम वैज्ञानिकों की मानें, तो इन दिनों मध्यप्रदेश से होकर गर्म हवा आ रही है। एमपी बॉर्डर से लगे चिल्फी घाटी में गर्म हवा पहले पहुंच रही है, इसलिए वहां तापमान औसत से ज्यादा है। मैदानी क्षेत्र से चिल्फी घाटी करीब 60 मीटर ऊंचाई पर है। वहीं कवर्धा निचले हिस्से में पड़ता है। ढलान होने के कारण कवर्धा में गर्म हवा का प्रभाव कम है, इसलिए यहां तापमान में कुछ राहत है। गुरुवार को कवर्धा का अधिकतम तापमान 43 डिग्री रहा, जो कि चिल्फी घाटी की तुलना में 2 डिग्री तक कम है।
13 घंटे पड़ रही है धूप, गर्मी का एहसास हो रहा अधिक
इन दिनों सुबह 5.19 बजे सूर्योदय हो रहा है। शाम 6.46 बजे सूर्यास्त होता है। इस बीच 13 घंटे से अधिक समय तक धूप से धरती गर्म हो रही है। हीट वेव के ऊपर न उठने से लोगों का गर्मी ज्यादा महसूस हो रही है। तेज धूप और गर्मी के कारण दोपहर में ज्यादातर सड़कें सुनसान है। लोग ज्यादातर समय कूलर व एसी में बिता रहे हैं।
पिछलेे साल 10 जून को आया था मानसून, इस बार देरी
कबीरधाम जिले में इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून के पहुंचने में देरी हो सकती है। क्योंकि लोकल सिस्टम का साथ नहीं मिलने से इसकी रफ्तार धीमी है। पिछले साल 2021 में मानसून 10 जून की रात आ गई थी। मानसून आने के साथ ही तेज बारिश हुई थी। इस बार मानसून 2- 3 दिन देरी से आने की संभावना है।
खास बात यह भी है कि 1 जून से अब तक प्री- मानसून की गतिविधि भी देखने को नहीं मिली है। जबकि बीते 5 साल में मानसून आने के पूर्व 1 से 9 जून के बीच बारिश का दौर शुरू हो गया था। साल 2021 में इन 9 दिनों के दौरान जिले में 9.2 मिमी औसत बारिश हो चुकी थी। वहीं साल 2020 में 11.2 मिमी, साल 2019 में 17.6 मिमी, साल 2018 में 31.5 मिमी औसत बारिश रिकॉर्ड गई थी।
आगे क्या… मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थिति अनुकूल, अब 10 जून के बाद तापमान में कमी संभव
मौसम विभाग की मानें, तो मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो रही हैं। अगले 48 घंटे में अरब सागर के मध्य भाग, दक्षिण महाराष्ट्र के कुछ भाग, गोवा, कर्नाटक के कुछ और भाग, तमिलनाडु के बचे हुए भाग, आंध्र प्रदेश के कुछ भाग, पश्चिम मध्य और उत्तर पश्चिम बंगाल की खाड़ी के कुछ और भाग में अगले 48 घंटे में मानसून की गतिविधि बढ़ने की संभावना है।
पूर्व पश्चिम द्रोणिका दक्षिण-पूर्व उत्तर प्रदेश से मणिपुर तक 0.9 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। एक द्रोणिका पश्चिम बंगाल के उप हिमालयी क्षेत्र से अंदरूनी उड़ीसा तक 1.5 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है। इसके प्रभाव से 10 जून को प्रदेश के एक-दो स्थानों पर हल्की वर्षा होने अथवा गरज- चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है। 10 जून से प्रदेश में वर्षा की गतिविधि बढ़ने के कारण अधिकतम तापमान में गिरावट का दौर शुरू होने की संभावना है। इधर लगातार तापमान अधिक रहने से जिले में डीहाइड्रेशन के मरीज बढ़ने लगे हैं।
एक्सपर्ट व्यू: चिल्फी घाटी में रिवर्स सिस्टम का असर
रायपुर के मौसम वैज्ञानिक एचपी चंद्रा बताते हैं कि वैसे तो गर्मी में भी पहाड़ी क्षेत्र में तापमान मैदानी क्षेत्र की तुलना में कम रहता है। क्योंकि पहाड़ी क्षेत्र की जमीन समतल यानी बराबर नहीं होती है। इस कारण अधिकतर जगह सूर्य की किरणें सीधी न पड़कर आड़ी-तिरछी पड़ती हैं। वहीं पहाड़ी जमीन को बहुत कम मात्रा में ऊष्मा मिलती है।
लेकिन इन दिनों मध्यप्रदेश से होकर आ रही गर्म हवा का प्रभाव चिल्फी घाटी पर ज्यादा है। इसलिए वहां तापमान अधिक बता रहा है। वहीं ढलान वाले इलाके जैसे कवर्धा में इसका असर कुछ कम है। यह रिवर्स सिस्टम के तहत हो रहा है।