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भूखे-प्यासे चढ़ गए 9 हजार फीट ऊंची चोटी, बेटी बचाव, बेटी पढ़ाव का दिया संदेश

बालोद। मंजिल पाने की चाहत हो तो न तकलीफ आड़े आती है| न ही भूख-प्यास. केवल मंजिल ही नजरों के सामने रहती है| भले ही उस रास्ते पर कितनी भी कठिनाइयां हों, लेकिन आगे बढ़ने की चाहत मंजिल तक पहुंचा ही देती है| ऐसी ही कहानी बालोद जिले के डुडिया गांव के यशवन्त टण्डन की है, जिन्होंने भूखे-प्यासे शिमला की सबसे ऊंची साढ़े 9 हजार फीट चोटी पर तिरंगा लहराया|

इंडियन एडवेंचर फाउंडेशन की ओर से हिमाचल प्रदेश के शिमला में 5 दिनों का शिविर आयोजित किया गया था, जिसमें देश के सैकड़ों लोगों ने भाग लिया था| आयोजन में बालोद जिले के 3 लोगों हिस्सा लिया, जिसमें डुड़िया गांव के यशवन्त टण्डन, तवेरा निवासी पल्लवी बारले और कनेरी निवासी निखिल यादव ने हिस्सा लिया था| शिमला के पर्वतारोहण के लिए साढ़े 9 हजार सबसे ऊंची चोटी जाखू टेम्प में सबसे पहले भूखे-प्यासे यशवन्त ने सबसे पहले तिरंगा लहरा के बेटी बचाव, बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया|

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