पुरानी पेंशन योजना पर भाजपा कांग्रेस हुई फिर से आमने-सामने, कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा- भाजपा बताये की वह किसके पक्ष में हैं, पुरानी पेंशन योजना के पक्ष में हैं अथवा उसके खिलाफ

रायपुर. पुरानी पेंशन योजना पर केंद्र सरकार का रुख सामने आने के बाद कांग्रेस और भाजपा एक बार फिर आमने-सामने हैं। कांग्रेस ने अब भाजपा नेताओं पर सवाल उठाया है। कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय सहित भाजपा के 9 सांसदों को बताना चाहिए कि वे राज्य कर्मचारियों की बेहतरी के लिए लागू पुरानी पेंशन योजना के पक्ष में हैं अथवा उसके खिलाफ।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा, अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को बंद कर नई पेंशन योजना की शुरुआत की थी। जिसका नुकसान देशभर के सरकारी कर्मचारियों को हो रहा है। रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को पूरी राशि नहीं मिलती है। उनके वेतन के अनुसार पेंशन भी नहीं मिलता है। साथ ही नई पेंशन योजना में जमा राशि को शेयर बाजार और अन्य स्थानों पर लगाया जाता है, जिसके डूबने का नुकसान सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को होता है।
ठाकुर ने कहा, पुरानी पेंशन योजना बहाली के बाद छत्तीसगढ़ और राजस्थान सरकार की ओर से पेंशन विकास प्राधिकरण से राज्य के कर्मचारियों के हिस्से की जमा राशि को मांगा गया और प्राधिकरण के द्वारा इनकार कर दिया। इससे समझ में आता है कि पेंशन विकास प्राधिकरण मनमानी कर रही है। यह कर्मचारियों के साथ धोखा है। अटल सरकार के समय शुरू हुई नई पेंशन योजना में गड़बड़झाला है। पेंशन विकास प्राधिकरण राज्य सरकारों को कर्मचारियों की जमा राशि को लौटाने से इनकार कर रही है तो कर्मचारियों के रिटायर होने के बाद उनकी राशि देने में भी आनाकानी करती होगी।
छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों का पैसा वापस करे केंद्र सरकार
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया है। इससे राज्य के लाखों कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद की चिंता से मुक्ति मिली है। ऐसे में केंद्र सरकार के पेंशन विकास प्राधिकरण को अपने पास जमा राज्य के कर्मचारियों के वेतन से काटी गई और राज्य सरकार के अंशदान के 17 हजार 240 करोड़ रुपए तत्काल राज्य सरकार को देना चाहिए। यह राज्य के कर्मचारियों का हक है.



