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अपने-अपने ‘सत्यवान’ के लिए ‘सावित्री’ बनीं महिलाएं, जानिए क्या है व्रत का महत्व?

रायपुर। सोमवार को लगभग पुरे प्रदेश में वट सावित्री व्रत और पूजन कर महिलाओं ने अपने-अपने पति की की प्राण रक्षा और लंबी आयु की कामना की। भरी दोपहरी में बरगद और पीपल के संयुक्त पेड़ के नीचे महिलाएं सामूहिक रूप से पूजन करती दिखीं। उल्लेखनीय है कि पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक सावित्री देवी ने अपने पति सत्यवान की प्राण रक्षा इसी व्रत के जरिए की थी, और भगवान को अपने पति को जीवित करने पर मजबूर किया था। तभी से हिंदू महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं। वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को रखा जाता है। इस दिन सुहागिनें अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं। इस साल वट सावित्री व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है। इसलिए इस दिन का महत्व और बढ़ गया है। मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य पूर्ण होते हैं। हमारे सूरजपुर संवाददाता के मुताबिक विश्रामपुर के गौरी शंकर मंदिर प्रांगण में और साथ ही जिले के कई जगहों पर वट सावित्री का पूजन महिलाओं ने पति की लंबी दीर्घायु के लिए वट वृक्ष में फेरे लगाकर की। पौराणिक मान्यता है कि सावित्री ने बरगद के पेड़ के नीचे ही अपने मृत पति की देह पर जीवन वापस देने यमराज को मजबूर किया था। इसी के चलते वट सावित्री व्रत पर महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं। इसके अलावा संतान प्राप्ति के लिए वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है।

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