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अगर बिजली चाहिए तो कोयला चाहिए,लेकिन वन आरक्षण के नियमों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

रायपुर। हसदेव अरण्य के जंगलों में परसा कोयला खदान की मंजूरी को लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बड़ा बयान आया है। मुख्यमंत्री ने रायपुर में कहा, देश को बिजली चाहिए तो कोयले की जरूरत तो पड़ेगी। बस इसमें नियमों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।

परसा कोयला खदान के लिए बिना अनुमति पेड़ों की कटाई से जुड़े एक सवाल पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, कोयला वहीं है जहां पहाड़ और जंगल हैं। जंगलों को बचाने के लिए नीतियां बनी हैं। वन विभाग उसे देखता है। उसके लिए वन अधिनियम है, पर्यावरण कानून है। उन नियमों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। वहां प्रभावित लोगों को मुआवजा बराबर मिलना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा, देश को कोयले की जरूरत तो है। आज कोयले के लिए पैसेंजर ट्रेन को रोकना पड़ा है। इतिहास में कभी देश में ऐसा नहीं सुना गया था। आज भारत सरकार खुद रेल रोक रही है। अभी रेल मंत्री आए थे। कोयला मंत्री लगातार देख रहे हैं। देश को ऊर्जा अथवा बिजली चाहिए ताे कोयले की जरूरत तो पड़ेगी। काेयला वहीं से मिलेगा जहां कोयले की खदान है, लेकिन इसके लिए जो नियम है उसका पालन होना चाहिए। उसमें कोताही नहीं होनी चाहिए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के तहत सुकमा जिले के कोंटा रवाना होने से पहले पुलिस लाइन हेलिपैड पर पत्रकारों से बात कर रहे थे।

दिवालिया होगा तो देश होगा, कोई राज्य नहीं

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के बयान पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। मुख्यमंत्री ने कहा, उस दिन धरमलाल कौशिक जी ने तो बोल दिया कि छत्तीसगढ़ की स्थिति श्रीलंका जैसी हो जाएगी। भारत सरकार की तुलना में तो छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था बहुत बढ़िया है। केंद्र सरकार हमारा सहयोग नहीं कर रही है उसके बाद भी बढ़िया है। अगर दिवालिया होगा तो देश दिवालिया होगा, जैसे श्रीलंका हुआ। श्रीलंका का कोई राज्य दिवालिया नहीं हुआ, पूरा देश दिवालिया हुआ। उस दिशा में जाने से बचना है तो दरिद्र नारायण की सेवा करनी पड़ेगी।

अगली कैबिनेट में पारित हो जाएगा पेसा नियम

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, भाजपा ने शुरू से ही आदिवासियों को दबाया है। उनका हक छीना है। उनकी नीतियों की वजह से हजारों परिवारों को बस्तर से पलायन करना पड़ा था। कांग्रेस हमेशा से आदिवासियों के साथ रही है। उनके हित की रक्षा करती रही है। वह फॉरेस्ट राइट एक्ट लाने की बात हो या पेसा कानून की बात हो। पेसा (पंचायत एक्सटेंशन ऑफ शेड्यूल एरिया) का एक्ट लागू है। रमन सिंह 15 सालों में इसके नियम नहीं बना पाए। नियम बनाने की प्रक्रिया पूरी हो गई है। मैंने कहा है कि कैबिनेट की अगली बैठक में पेसा नियम पारित किया जाएगा।

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