धर्म की आड़ में छल! कवर्धा में गुप्त धर्मांतरण का भंडाफोड़, फादर और पत्नी पर गंभीर आरोप, मौके पर पुलिस बल तैनात

कवर्धा।
छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में रविवार को धर्मांतरण को लेकर बड़ा बवाल खड़ा हो गया। आदर्श नगर क्षेत्र में एक घर के भीतर चल रहे गुप्त धर्मांतरण कार्यक्रम का भंडाफोड़ होते ही माहौल गरमा गया। आरोपों के केंद्र में हैं एक फादर और उनकी पत्नी, जिन पर बीमारी ठीक करने का झांसा देकर लोगों का धर्म बदलवाने का गंभीर आरोप है।
बताया जा रहा है कि इस कथित प्रार्थना सभा में लोगों को इस वादे पर बुलाया गया था कि चमत्कारी प्रार्थना से उनकी शारीरिक और मानसिक बीमारियां ठीक हो जाएंगी। लेकिन सच्चाई कुछ और ही निकली। आरोप है कि वहां ईसाई धर्म अपनाने का दबाव बनाया जा रहा था, और यह सिलसिला काफी समय से गुपचुप तरीके से चल रहा था।
विश्व हिंदू परिषद की एंट्री और माहौल में तनाव
जैसे ही इस गुप्त सभा की खबर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यकर्ताओं को लगी, वे बड़ी संख्या में मौके पर पहुंच गए। उन्होंने वहां लगभग 20 लोगों को धर दबोचा और हंगामा शुरू हो गया। देखते ही देखते पूरा इलाका तनाव के घेरे में आ गया। पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर बुलाया गया।
फादर और पत्नी पर साजिश का आरोप
स्थानीय निवासियों और विहिप कार्यकर्ताओं का आरोप है कि यह सिर्फ एक प्रार्थना सभा नहीं, बल्कि एक योजनाबद्ध धर्मांतरण अभियान था। फादर और उनकी पत्नी पर आरोप है कि वे लंबे समय से प्रलोभन, भय और झूठे वादों के जरिए भोले-भाले लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित कर रहे थे।
प्रशासन सतर्क, जांच शुरू
घटना के बाद पुलिस और प्रशासन हरकत में आ गए हैं। क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं। एसडीएम और पुलिस अधीक्षक ने मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया।

जनता में आक्रोश, कार्रवाई की मांग
घटना के बाद आम लोगों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि धर्मांतरण जैसी साजिशें सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने का प्रयास हैं और इस पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। लोगों की मांग है कि दोषियों को तुरंत गिरफ्तार कर कड़ी सजा दी जाए।
सवालों के घेरे में धर्म की राजनीति
इस घटना ने एक बार फिर से धर्मांतरण और आस्था के नाम पर चल रही गतिविधियों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या धर्म के नाम पर छल करना अब भी इतनी आसानी से संभव है? प्रशासन की कार्रवाई अब तय करेगी कि सच में न्याय होगा या यह मामला भी राजनीति की भेंट चढ़ जाएगा।
निष्कर्ष:
कवर्धा की यह घटना सिर्फ एक स्थानीय मुद्दा नहीं, बल्कि धर्म, आस्था और सामाजिक एकता से जुड़ा एक बड़ा सवाल बन गई है। अब देखना होगा कि कानून इस साजिश के धागों को कितनी तेजी से खोलता है और दोषियों को कब तक सजा दिला पाता है।