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1 महीने में मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो फिर से सड़क पर उतरेंगे ग्रामीण सर्व आदिवासी समाज

रायपुर। छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया है। हजारों की तादाद में ग्रामीण धमतरी और बालोद जिले की सीमा पर चिटौद के पास जमा हो चुके थे। ये सभी रायपुर आकर बड़ा विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी में थे, मगर वहीं पुलिस ने इन्हें रोक रखा था। शुक्रवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलने इन प्रदर्शनकारियों का प्रतिनिधि मंडल रायपुर पहुंचा था।

इसमें शामिल छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के उपाध्यक्ष सुरजू टेकाम ने बताया कि हमनें मुख्यमंत्री से मुलाकात की है। उन्होंने हमारी सभी मांगों पर सहमति जताते हुए इन्हें पूरा करने की दिशा में सकारात्मक पहल करने की बात कही है। सारकेगुड़ा और एडसमेटा में हिंसक घटनाओं की जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर कार्रवाई का आश्वास मिला है। चूंकि ये प्रक्रिया कानूनी है इसलिए सरकार ने थोड़ा वक्त लिया है।

1 महीने बाद फिर होगा हल्ला बोल
सुरजू ने बताया कि हमने चर्चा के बाद 1 महीने का समय दिया है। इस बीच यदि हमारी मांगों पर कार्रवाई होती दिखती है तो ठीक नहीं तो फिर से हम सड़कों पर उतरेंगे। फिलहाल हम आंदोलन को आपस में बातचीत के बाद स्थगित कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने हमें कहा है कि पेसा कानून भी धरातल पर लागू करने की दिशा में काम करेंगे।बीते दो दिनों से सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने कांकेर से पदयात्रा निकाली और गुरुवार को बालोद-धमतरी जिले की सीमावर्ती गांवों में पहुंचे। पुलिस ने इन्हें रायपुर की ओर आने से रोका तो बैरीकेडिंग तोड़कर प्रदर्शनकारियों ने नेशनल हाइवे जाम कर दिया था। गुरुवार की रात भी प्रदर्शनकारियों ने वहीं बिताई फिर सुबह शुक्रवार को सुरजू के नेतृत्व में प्रतिनिधी मंडल मुख्यमंत्री से मिलने रायपुर आया था।

ये है सर्व आदिवासी समाज की मांगें

  • सरकेगुड़ा, एडसमेटा, न्यायिक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कर दोषियों पर सख्त कार्यवाही की जाए।
  • बस्तर में सैनिकरण निरस्त करते हुए पुलिस कैंप बंद हो। फर्जी मुठभेड़, मामलों में गिरफ्तारी बंद हो।
  • जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों की तुरंत रिहाई, संविधान सम्मत पेसा कानून धारा 4(घ) एवं 4 (ण) के तहत हर गांव में ‘ग्राम सरकार’ एवं हर ज़िले में ‘ज़िला सरकार ‘ गठन की प्रशासकीय व्यवस्था लागू हो।
  • संविधान के 5वी अनुसूची के पैरा 5(2) के तहत अनुसूचित क्षेत्र में भू-अधिग्रहण एवं भू-हस्तांतरण को विनियमित करने के लिए “आंध्र प्रदेश अनुसूचित क्षेत्र भू-हस्तांतरण विनियम कानून,( संशोधित)1970 के तर्ज पर छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता में संशोधन कर कानून बने।
  • ग्रामसभा के निर्णय का पालन हो। बिना ग्रामसभा सहमति के किसी भी कानून से किसी भी परियोजना के लिए जारी भूमि अधिग्रहण निरस्त हो।
  • मौलिक अधिकारों की हनन करने वाला “छत्तीसगढ़ जन सुरक्षा अधिनियम 2005 को खारिज़ किया जाए।
  • अनुसूचित इलाकों में ग्राम पंचायतों को अनारक्षित घोषणा करना बंद हो। अनुसूचित क्षेत्र में संविधान का अनुच्छेद 243 (य, ग) का पालन करते हुए सारे गैर-कानूनी नगर पंचायतों, नगर पालिका को भंग करते हुए पेसा कानून के तहत पंचायती व्यवस्था लागू करें।

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