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छतीसगढ़ की बेटियो का नया अविष्कार, चशमा का है अलग कमाल

महासमुंद: छत्तीसगढ़ के पिथौरा की स्कूली छात्राओं ने सड़क हादसों को कम करने के लिए एक सराहनीय कदम उठाया है. लंबे सफर के दौरान वाहन चालकों को आने वाली झपकी और इससे होने वाली दुर्घटनाओं से बचने के लिए स्कूल की बच्चियों ने स्मार्ट चश्मा तैयार किया है. बच्चों ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को चुनने का ख्याल टीवी और अखबारों में नींद और झपकी से होने वाली दुर्घटनाओं की खबरों से आया था. इसके बाद उन्होंने सोचा कि कुछ किया जाए, जिससे सड़क हादसों को कम किया जा सके.

झपकी आने पर बजेगा अलार्म 
लड़कियों ने ये चश्मा गाड़ी ड्राइव करते समय झपकी आने पर न केवल अलार्म बजा देगा बल्कि तेजी से वाइब्रेट होना भी शुरू हो जाएगा.  अलार्म वाहन के रुकने तक जारी रहेगा. पिथौरा के संस्कार शिक्षण संस्थान व कन्या शाला की तीन छात्राएं पायल बरिहा, तेजस्वी डड़सेना और जीतिका डडसेना ने 3 महीने लगातार मेहनत के बाद इस स्मार्ट चश्मे को तैयार किया है. इसे तैयार करने में छात्राओं को संस्कार शिक्षण संस्थान के संचालक गौरव चंद्राकर का मार्गदर्शन मिला.

चश्मे की टाइमिंग सेट की गई है
ये चश्मा नींद आने पर अलर्ट करता है. इस चश्मे में आईआर सेंसर, बजर, वाइब्रेशन सेंसर और एलईडी लाइट लगाई गई है. इसे गाड़ी चलाते समय आसानी से पहना जा सकेगा. इसे पहनने के बाद गाड़ी चलाने वाले व्यक्ति को जैसे ही झपकी आएगी, इसमें लगा सेंसर इसे डिटेक्ट कर लेगा और अलार्म बजने लगेगा. इसके साथ ही इस में लगी लाइट भी जलने लगेगी, जिससे चालक सतर्क हो जाएगा. सामान्य स्थिति में इंसान हर मिनट में तकरीबन 15 बार अपनी पलकें झपकता है. इसी के आधार पर चश्मे की टाइमिंग सेट की गई है.

नाम ‘स्मार्ट चश्मा’ रखा है
लड़कियों ने नींद भगाने वाला चश्मे का आविष्कार किया है, जिसमें संस्कार शिक्षण संस्थान पिथौरा के संचालक एवं युवा विज्ञानी शिक्षक गौरव चंद्राकर की मदद मिली. रात को गाड़ी चलाते समय अक्सर झपकी आना सड़क दुर्घटनाओं का कारण बनता है, जिससे देश में हर साल कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. इससे निपटने के लिए तीन विद्यार्थियों की टीम ने अपनी सोच को विस्तार देकर चश्मे में बदल दिया और परिणाम ये हुआ कि एक ऐसा चश्मा तैयार हुआ, जिसमें लगा अलार्म सिस्टम ड्राइवर को झपकी आते ही अलर्ट कर देगा. छात्रों ने इसका नाम स्मार्ट चश्मा रखा है. उनका मानना है कि इस प्रोजेक्ट का अगर व्यावसायिक उत्पादन होने लगे तो बड़ी तादाद में झपकी आने से होने वाली घटनाओं को रोका जा सकेगा, क्योंकि ज्यादातर सड़क दुर्घटना का कारण चालक को नींद आना ही होता है.

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