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एक सैंपल की सेंट्रल लैब में दो रिपोर्ट,कभी A+ तो कभी बताते है O+

बिलासपुर। के मेडिकल कॉलेज सिम्स में महिला के इलाज में बड़ी लापरवाही सामने आई है। सेंट्रल लैब में हुई गलत ब्लड जांच से महिला की मौत भी हो सकती थी। शुक्र है ब्लड बैंक वालों का जिनकी सतर्कता से महिला अभी जीवित है। मगरपारा निवासी ज्योति ओगले पति वीरू ओगले पिछले चार दिन से सिम्स के फी-मेल मेडिकल वार्ड में भर्ती है। ज्योति को कमजोरी की शिकायत थी। उनके पति वीरू ने सिम्स के डॉक्टरों को दिखाया तो उन्होंने ब्लड की कमी बताई और उन्हें भर्ती होने के लिए कहा।

भर्ती होने के बाद महिला का ब्लड जांच के लिए सेंट्रल लैब भेजा गया। यहां से रिपोर्ट में पता चला कि महिला का ब्लड ओ-पॉजिटिव है। डॉक्टरों ने महिला के पति से कहा कि ओ-पॉजिटिव ब्लड चढ़ाया जाएगा। दो यूनिट ब्लड की व्यवस्था की जाए। पति बीटी फार्म लेकर सिम्स के ब्लड बैंक गया।यहां दोबारा ब्लड की जांच की गई तो महिला का ब्लड बी-पॉजिटिव आया। चूंकि ब्लड बैंक में दो से तीन बार ब्लड को री-चेक किया जाता है इसलिए ब्लड बैंक की रिपोर्ट सही मानी जाती है। ब्लड बैंक से पहले बी-पॉजिटिव दो यूनिट ब्लड महिला को भेजा गया। महिला को एक यूनिट ब्लड चढ़ना था। यहां के डॉक्टरों ने फिर ब्लड को सेंट्रल लैब जांच के लिए भेजा तो ए-पॉजिटिव होने का पता चला। फिर ब्लड के लिए बीटी फार्म लेकर पति ब्लड बैंक गया तो वहां फिर जांच में महिला का ब्लड बी-पॉजिटिव आया। ब्लड बैंक वालों की सतर्कता के कारण महिला को बी-पॉजिटिव ब्लड ही चढ़ा है इसलिए उनकी हालत फिलहाल ठीक है।

डॉक्टर बोले- इलाज में लापरवाही नहीं हुई
ज्योति का इलाज पंकज टेम्भुनिकर की देखरेख में चल रहा है। उनका कहना है कि इलाज में कोई लापरवाही नहीं हुई है। महिला का जो भी ब्लड ग्रुप था, उसे उसी ग्रुप का खून चढ़ाया गया है। वह एकदम स्वस्थ है। जिसने भी खबर दी। यह झूठी है। वहीं सिम्स की पीआरओ डॉ. आरती पांडेय ने भी यही कहा कि इलाज में लापरवाही नहीं हुई है। महिला का ब्लड ग्रुप जो था, उसे वही ब्लड चढ़ाया गया है।

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