शिक्षक नेता का राजनीतिक और प्रशासनिक रसूख, बीमार बताकर किया रायपुर रेफर, अब कम्प्यूटर ऑपरेटर पर है पुलिस की नजर
शिक्षकों की पोस्टिंग घोटाला उजागर होने और आरोपी योगेश पांडेय सर्व शिक्षक संघ का प्रदेश संगठन मंत्री भी रहा है। उसका राजनीतिक और प्रशासनिक रसूख के दावा भी सामने आया है। यही वजह है कि शनिवार को उसकी गिरफ्तारी के बाद उसे जेल भेजने के बजाए अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है। अब उसे CIMS से रायपुर मेकाहारा रेफर कर दिया गया है। ऐसे में अब इस रिश्वत कांड में विभाग के अफसरों को बचाने का खेल भी शुरू हो गया है। इधर, पुलिस इस मामले में अब एक कम्प्यूटर ऑपरेटर को दबोचने की तैयारी में है।
शिक्षकों की पोस्टिंग को लेकर सोशल मीडिया वायरल वीडियो को सामने लाया था। इसमें टीचर नंदकुमार साहू अपने आप को अफसरों से पहुंच होने का दावा कर मनचाही जगहों पर पोस्टिंग के लिए 90 हजार रुपए की डिमांड कर रहा है। इस खबर के बाद शिक्षा विभाग के अफसरों की नींद उड़ गई। IG रतनलाल डांगी के निर्देश पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। पुलिस की साइबर सेल की मदद से शिक्षक नंदकुमार साहू के मोबाइल की जांच की गई। तब सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश संगठन मंत्री योगेश पांडेय का नाम सामने आया। जांच के शुक्रवार की शाम पुलिस ने दोनों शिक्षक को पकड़कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
प्रशासनिक और राजनीतिक रसूख, इसलिए जेल की जगह पहुंचा अस्पताल
बताया जा रहा है कि शिक्षक नेता योगेश पांडेय की राजनीतिक और प्रशासनिक रसूख के चलते उसे कोर्ट में पेश करने के बाद जेल के बजाए अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। कोर्ट को मेडिकल रिपोर्ट के साथ बताया गया कि उसका ब्लडप्रेशर लो हो गया है। लिहाजा, कोर्ट ने उसे अस्पताल में भर्ती करने का आदेश दिया। अब उसे CIMS से रायपुर मेकाहारा रेफर कर दिया गया है।
न तो नियुक्तिकर्ता और न ही साइनिंग अथार्टी फिर अफसरों की सह के बिना कैसे कर सकते हैं सौदा
शिक्षक पोस्टिंग के इस भ्रष्टाचार में पुलिस की जांच पर भी सवाल उठने लगा है। ऐसा इसलिए क्योंकि सौदा करने वाले शिक्षक नंदकुमार साहू और योगेश पांडेय बिना किसी अधिकारी के सहयोग या मिलीभगत से पोस्टिंग कैसे करा सकते हैं। न तो दोनों नियुक्तिकर्ता अधिकारी हैं और न ही उनकी हस्ताक्षर से पोस्टिंग हो सकती है। दोनों आरोपी शिक्षक विभागीय अधिकारियों के मोहरा मात्र हैं। फिर भी पुलिस की जांच अभी तक उस दिशा में नहीं पहुंची है कि उन्हें लिस्ट कहां से और कैसे मिली। इस पूरे रिश्वत कांड में कौन-कौन अधिकारी शामिल हैं उनके नाम को भी उजागर नहीं किया गया है। हालांकि, पुलिस अफसर अभी जांच के बाद शिक्षा विभाग के अफसरों तक भी पहुंचने का दावा कर रहे हैं।
अब कम्प्यूटर ऑपरेटर पर है पुलिस की नजर
पुलिस सूत्रों का कहना है कि पोस्टिंग घोटाले में योगेश पांडेय ने एक कम्प्यूटर ऑपरेटर के द्वारा सूची उपलब्ध कराने का दावा किया गया है। लेकिन, सिर्फ सूची उपलब्ध कराने से पोस्टिंग कैसे हो सकती है। फिर भी उसके बयान के आधार पर अब पुलिस उस कम्प्यूटर ऑपरेटर को आरोपी बनाकर गिरफ्तार करने की तैयारी में है। ऐसे में इस कांड में शिक्षक और कम्पयूटर ऑपरेटर की गिरफ्तारी कर मामले को दबाने और रफादफा करने की भी चर्चा है।
ऐसी क्या बीमारी की CIMS में नहीं मिला इलाज
आरोपी शिक्षक योगेश पांडेय को CIMS से रायपुर रेफर करने को लेकर भी सवाल उठ रहा है। CIMS बिलासपुर संभाग का सबसे मेडिकल कॉलेज है, जहां सभी गंभीर बीमारियों का उपचार संभव है। लेकिन, आरोपी योगेश पांडेय को मेडिकल कॉलेज अस्पताल रायपुर रेफर कर दिया गया है। सवाल यह भी है कि उसे ऐसी क्या तकलीत है, जिसका उपचार CIMS में नहीं हो सका। बताया जा रहा है कि बिलासपुर में मीडिया की नजरों से बचाने के लिए उसे रायपुर रेफर किया गया है।
पुलिस अफसर बोले-मोबाइल से खुलेगा राज
इधर, पुलिस अफसरों का कहनाा है कि अभी आरोपी योगेश पांडेय का बयान दर्ज किया गया है। उससे पूछताछ के बाद अब उसके मोबाइल का काल डिटेल्स खंगाला जाएगा। जिसके आधार पर शिक्षा विभाग और संयुक्त संचालक शिक्षा कार्यालय के अफसरों की मिलीभगत की पड़ताल की जाएगी। जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर पुलिस कार्रवाई करेगी।