गणपति एक, रूप अनेक, शहर के हर पंडालों में अलग-अलग अंदाज में दिखाई देंगे गणपति बप्पा…

अलग अलग अंदाज में दिखेगी मूर्तियां : अब तक हम मिट्टी से बनी गणपति बप्पा की मूर्तियां देखते रहे हैं, लेकिन इस बार मिट्टी के अलावा अनोखे तरीके से गणपति बप्पा की मूर्तियां तैयार की जा रही हैं. अलग-अलग थीम पर भगवान गणेश की प्रतिमा तैयार की गई है, जिसमें हर्रा, बहेड़ा, महुआ के अलावा समुद्री शंख, पास्ता और मैकरोनी से बनी गणेश भगवान की मूर्तियां शामिल हैंं.
रायपुरा में रहने वाले यादव परिवार ने छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाले वनोपज से मूर्ति बनाई है, इसके साथ ही चेन्नई से खास तौर से समुद्र के शंख, सीपी मंगाए गए हैं. इसके साथ ही अगरबत्ती, चावल, धान, सुपारी, जनेऊ, माचिस की तीली से भी गणपति जी बनाये गए हैं. इनकी कीमत 50 हजार से डेढ़ लाख रुपये तक हैं. यादव परिवार पिछले 10 साल से मूर्ति बनाते आ रहा है. हर साल सिर्फ गणेश भगवान की मूर्ति ही बनाते हैं, परिवार के 5 सदस्य मिलकर हर साल बनाते हैं.
छत्तीसगढ़ के जंगलों में पाए जाने वाले वनोपज हर्रा, बहेड़ा, तेंदूपत्ता, चार चिरौंजी, चिरौंजी, महुआ, बांस लकड़ी से बनाया गया हैं, इसके लिए 21 किलो हर्रा का उपयोग हुआ हैं, इसके साथ ही कमल गट्टा, करण बीज, इमली बीज भी इस्तेमाल हुआ हैं. गणपति को आदिवासी साफा भी पहनाया गया हैं, जिसमें मोर पंख और कौड़ी लगाए गए हैं.
मूर्ति को बनाने में 40 हजार रुपए लगे हैं, मूर्तिकार ने इसे एक महीने में बना कर तैयार किया है, ये गणपति रायपुर डंगनिया में बाल महाराज गणेश उत्सव समिति द्वारा स्थापित किया जाएगा.
इस गणेश भगवान को तैयार करने के लिए खास तौर से चेन्नई से शंख और सीपी मंगाए गए हैें. इसमें गोमती चक्र, सुदर्शन चक्र, शंख का इस्तेमाल किया गया हैं, सबसे महंगी भगवाने गणेश की मूर्ति 2 लाख रुपए में तैयार की गई हैं, इसे रामसागर पारा में बाल गजानन गणेश उत्सव समिति द्वारा बैठाया जाएगा. समिति पिछले 12 साल गणेश भगवान की विशेष प्रतिमा स्थापित करते आ रही हैं, कई तरह के शंखों का प्रयोग कर इसे बनाया गया हैं.