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धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र मे जो जिस धर्म को चाहे माने, किसी भी धर्म मे शामिल हो लेकिन कहीं पर भी मानवता का हनन न हो।

धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र मे जो जिस धर्म को चाहे माने, किसी भी धर्म मे शामिल हो लेकिन कहीं पर भी मानवता का हनन न हो।

तहलका न्यूज़ दुर्ग// भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है, धर्मनिरपेक्षता की एक सकारात्मक अवधारणा है, अर्थात देश के सभी धर्मों को समान दर्जा व समर्थन प्राप्त है। देश का अपना कोई धर्म नही है, प्रत्येक नागरिक को अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म को मानने तथा प्रचार करने की पूरी स्वतन्त्रता है। धर्म के आधार पर नागरिकों मे किसी प्रकार का कोई भेदभाव नही किया जा सकता और न ही भेदभाव किया जाना चाहिए। आप चाहे किसी भी धर्म या जाति के हो, सिर्फ अपने धर्म का सम्मान और दूसरे धर्म का अपमान कभी न करें। हम सब इंसान है हमारा सबसे पहला धर्म इंसानियत होनी चाहिए, हम मानव है हमारे अंदर मानवता होनी चाहिए। 

हम किसी भी संप्रदाय से हो (हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई) सभी धर्म का आदर सम्मान करें, क्यूकी जाति-धर्म का बटवारा धन-दौलत, उंच-नीच के आधार पर नही हुआ है। जबकि जाति-धर्म का बटवारा कर्म और ज्ञान के आधार पर हुआ है, आज हमलोगो मे से पढ़ लिखकर कोई डॉक्टर बनता है कोई इंजीनियर बनता है, कोई आईएएस ऑफिसर बनता है, यह सब अपने कर्मो और ज्ञान के आधार पर बनते है, सब अपने कम्फर्ट के हिसाब से काम करते है, इसी प्रकार जिसको जो धर्म मानना है मान सकते है, जिस धर्म मे comfortable महसूस करते है उसे अपना सकते है, लेकिन आपके कर्म या धर्म की वजह से किसी को भी क्षति पहुंचे या मानवता का हनन हो तो वह धर्म नही अधर्म है। इसी लिए सभी धर्म का सम्मान करें, सभी की भावनाओं की कदर करें, किसी धर्म की निंदा न करे, प्रेम पूर्वक जीवन यापन करें।

 

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